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Showing posts from March, 2022

शुष्क बर्फ क्यों खतरनाक होती हैं? (Why dry ice is dangerous?)

 ठोस कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)को शुष्क बर्फ कहा जाता हैं। शुष्क बर्फ को पृष्ठ ताप (Surface Temperature) लगभग -78 डिग्री सेल्सियस / -109 डिग्री फारेनहाइट होता है। इसका अर्थ है कि यह सामान्य बर्फ जो कि जल से निर्मित होती हैं, से ज्यादा ठण्डी होती हैं। अगर हमारी त्वचा शुष्क बर्फ के संपर्क में आ जाए तो हमारी कोशिकाओं कुछ ही सैकेण्डस में मरना शुरू हो जाएगी, इस प्रकार हमें शीतदंश (Frostbite) की अनुभूति होगी। इसी प्रकार शुष्क बर्फ को सीलबंद डिब्बे (Air tight container) में रखना भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि सीलबंद डिब्बे में रखने पर अधिक दाब के कारण यह ठोस अवस्था से सीधे ही गैस अवस्था में परिवर्तित होना शुरू हो जाएगी, जिससे डिब्बे की दीवारों पर बहुत अधिक दबाब पड़ेगा, जो कि एक भयानक विस्फोट (Dangerous Explosion) में बदल सकता हैं।

गुस्सा होने के नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Anger)

 गुस्सा होना एक जटिल प्रक्रिया हैं। कुछ लोगों को गुस्सा इतना ज्यादा आता है कि वे कुछ भी सोचे-समझे बिना गलत कदम उठा लेते हैं। गुस्सा आने पर व्यक्ति के मस्तिष्क में लड़ो या भागों (Fight or Flight) की क्रिया शुरू हो जाती हैं, इस स्थिति में हमारे मस्तिष्क का एमिगडाला (Amygdala) नामक हिस्सा सक्रिय हो जाता हैं, जो मस्तिष्क को केटेकोलएमिन (Catecholamine) और कॉर्टिसोल (Cortisol) स्त्रावित करने के लिए संकेत भेजता हैं। ये रसायन हमारे रक्त दाब (Blood Pressure) में वृद्धि कर देते है, और रक्त का प्रवाह सिर, हाथ और पैरों की ओर अधिक हो जाता हैं, इसी कारण गुस्से के समय हमारा चेहरा लाल नजर आता है। बार-बार गुस्सा आना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं, क्योंकि इन रसायनों के साथ वसीय अम्ल (Fatty Acids) भी स्त्रावित होते हैं, जो हमारी रक्त वाहिनियों (Blood Vessels) में जमा हो जाते हैं, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो पाता है, इस कारण से हृदयाघात और स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती हैं। जब लोग भूख के कारण गुस्सा होते हैं, तो यह अवस्था हेंगरी (Hangry) कहलाती हैं। इसका कारण यह है कि जब हम खाना खाते हैं, तो यह ज्

नैनो मिशन एवं मुख्य नैनो पदार्थ (Nano Mission & Nano Materials)

 नैनो मिशन की शुरूआत सन् 2007 में रक्षा एवं प्रोद्यौगिकी विभाग (Department of Defense & Technology) (भारत के संदर्भ में) द्वारा की गई। इस विभाग द्वारा निम्न कार्य किए जाते हैं:- 1.नैनो तकनीक के क्षेत्र में मूलभूत अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती हैं। 2. आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए अनुसंधान। 3. नैनो तकनीक क्षेत्र में मानव संसाधन का विकास। 4. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना। 5. नैनो तकनीक के अनुप्रयोग विकसित करना। इस मिशन को लागू करने के लिए नैनो मिशन काउंसिल (Nano Mission Council) का गठन किया गया हैं। काउंसिल की सहायता के लिए नैनो विज्ञान सलाहकार समूह का निर्माण किया गया हैं। मुख्य नैनो पदार्थ (Important Nano Materials):- 1.ग्रेफीन:- यह शीट के रूप में बनी कार्बन परमाणु की संरचना हैं, जिसकी लंबाई व चौड़ाई सामान्य होती हैं, किन्तु मोटाई नैनो स्तर की होती हैं। 2. कार्बाइन:- कार्बन परमाणु की तार जैसी संरचना, इसका निर्माण अभी जारी हैं। 3. फुलरीन:-   यह कार्बन के 60 परमाणुओं से बनी फुटबॉल के समान संरचना हैं। इसे बकी बॉल भी कहा जाता हैं, यह सर्

नैनो तकनीक का अनुप्रयोग (Applications of Nanotechnology)

  Applications of Nanotechnology 1. चिकित्सा क्षेत्र में अनुप्रयोग (Applications in Medical Field):-  चिकित्सा क्षेत्र में नैनो तकनीक का प्रयोग विभिन्न रोगों की जाँचों व उपचारों के लिए किया जाता हैं, जिनमें से कुछ निम्न हैं:- अ. प्रकाशदीप्त नैनो कण (Fluorescent Nano Particles) :- यह वे कण हैं, जो प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, इनका प्रयोग कैंसर की जाँच व जीवाणु की उपस्थिति के लिए किया जाता हैं। उदाहरणः- कैल्शियम सेलेनाइड ब. लक्षित दवा प्रेषण (Target drug delivery) :- निश्चित मात्रा में दवा को निश्चित स्थान पर पहुँचाना। इसके लिए नैनो रॉबोट्स को प्रयोग में लिया जाता हैं। स. सूक्ष्म नासिका (Nano Nose) :- इससे गंध के आधार पर बीमारी का पता लगाया जाता हैं। द. पेप्टाइड नैनो मैटेरियल (Peptide Nano Material) :- ये ऐसे जीवाणु को नष्ट करने में सहायक हैं, जिन पर एन्टीबायोटिक्स (Antibiotics) प्रभाव नहीं डालती हैं। सिल्वर नैनो कण भी इसी तरह अनुप्रयुक्त किए जाते हैं। 2. पर्यावरण संरक्षण में (In Environment):- समुद्र में तेल के रिसाव को रोकने के लिए नैनो कण सहायक सिद्ध हुए हैं। इसी प्रकार नैनो फिल्टर क