गुस्सा होना एक जटिल प्रक्रिया हैं। कुछ लोगों को गुस्सा इतना ज्यादा आता है कि वे कुछ भी सोचे-समझे बिना गलत कदम उठा लेते हैं।
गुस्सा आने पर व्यक्ति के मस्तिष्क में लड़ो या भागों (Fight or Flight) की क्रिया शुरू हो जाती हैं, इस स्थिति में हमारे मस्तिष्क का एमिगडाला (Amygdala) नामक हिस्सा सक्रिय हो जाता हैं, जो मस्तिष्क को केटेकोलएमिन (Catecholamine) और कॉर्टिसोल (Cortisol) स्त्रावित करने के लिए संकेत भेजता हैं। ये रसायन हमारे रक्त दाब (Blood Pressure) में वृद्धि कर देते है, और रक्त का प्रवाह सिर, हाथ और पैरों की ओर अधिक हो जाता हैं, इसी कारण गुस्से के समय हमारा चेहरा लाल नजर आता है।
बार-बार गुस्सा आना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं, क्योंकि इन रसायनों के साथ वसीय अम्ल (Fatty Acids) भी स्त्रावित होते हैं, जो हमारी रक्त वाहिनियों (Blood Vessels) में जमा हो जाते हैं, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो पाता है, इस कारण से हृदयाघात और स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती हैं।
जब लोग भूख के कारण गुस्सा होते हैं, तो यह अवस्था हेंगरी (Hangry) कहलाती हैं। इसका कारण यह है कि जब हम खाना खाते हैं, तो यह ज्यादातर ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता हैं, यह ग्लूकोज रक्त द्वारा अवशोषित होकर कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता हैं- मुख्य रूप से मस्तिष्क कोशिकाओं को।
जब शरीर में ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है, तो मस्तिष्क इसे Life-Threatening Situation समझता हैं। और इससे तनाव बढ़ता है, जिससे हमारा मस्तिष्क परेशान होता हैं और हमें गुस्सा आता हैं। इसके साथ ही जब हमारे शरीर में ऊर्जा की कमी होती हैं, तो एक ‘न्यूरोपेप्टाइड वाई’ (Neuropeptide Y) नामक रसायन स्त्रावित होता हैं, जिससे हमें भूख लगती हैं और यह रसायन साथ में आक्रामकता को भी बढ़ाता हैं। इस प्रकार हम हेंगरी (Hangry) हो जाते हैं।
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