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Showing posts from September, 2020

प्रोटोजोआ जनित रोग (Protozoan Diseases)

1. अमीबीएसिस (Amoebiasis) - रोगजनक (Pathogen) - एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolitica) । लक्षण (Symptoms) - ग्रसित व्यक्ति के मल के साथ म्यूकस व रक्त निकलता हैं। आंतों में ऐंठन होती हैं। बड़ी आंतों (कोलन) में अल्सर हो जाते हैं , यकृत को प्रभावित करता हैं , जिससे अमीबीय हिपेटाइटिस हो जाता हैं। बचाव के उपाय (Precautions) - सब्जियों को भली-भांति धोकर उपयोग में लेना , अमीबीय पुटिकाओं को क्लोरीन , फीनॉल , क्रीसोल द्वारा नष्ट किया जाना चाहिए। उपचार (Treatment) - प्रतिजैविक पदार्थों जैसे- टेट्रासाइक्लीन (Tetracycline), टेरामाइसीन (Pteromycine) का उपचार में उपयोग किया जाता हैं।   2. मलेरिया (Malaria) 🦟 - मलेरिया मनुष्य में मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता हैं। मच्छर की लार में प्लाज्मोडियम रोगजनक उपस्थित होता हैं। रोगजनक (Pathogen) - प्लाज्मोडियम (Plasmodium) की चार जातियां हैं , जो कि निम्नानुसार हैं - Ⅰ . प्लाज्मोडियम वाइवेक्स (P. vivax) Ⅱ . प्लाज्मोडियम ऑवेल (P. ovel) Ⅲ . प्लाजमोडियम मलैरी (P. malari) Ⅳ . प्लाज्मोडियम फैल्सीफेरम (P. f

वायरस जनित रोग (Viral Diseases)

1. पोलियो [Polio] - रोगजनक (Pathogen) - पोलियो वायरस व एन्टेरोवायरस (Polio virus & Antero virus) । एन्टेरोवायरस (Antero virus) सबसे छोटा वायरस हैं। संचरण (Transmission) - वायु एवं जल द्वारा। लक्षण (Symptoms) - मेरूरज्जु , मस्तिष्क एवं पैर प्रभावित , बुखार आना , माँसपेशियों का सिकुड़ना , प्रभावित हाथ/पैर का विकास धीमा , सिर दर्द , उल्टी , गर्दन में दर्द , तंत्रिका तंत्र के नष्ट होने से प्रभावित हाथ या पैर का कार्य करना बंद। 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों को पोलियों हो सकता हैं। बचाव के उपाय (Precautions) - पोलियो की दवा पिलाकर। उपचार (Treatment) - चिकित्सकीय निर्देशानुसार ऑपरेशन , जयपुर फुट का उपयोग , फिजियोथेरेपी आदि।   2. रेबीज (जलांतक) [Rabies] 🐕🐶 - रोगजनक (Pathogen) - रेबीज वायरस (Rabies virus) । संचरण (Transmission) - संक्रमित कुत्ता , बंदर , लोमड़ी , भेड़िया जिनकी लार में रेबीज वायरस होते हैं। लक्षण (Symptoms) - तेज बुखार आना , सिर दर्द , बैचेनी , कंठ का अवरूद्ध होना , पानी से डर लगना। बचाव के उपाय (Precautions) - आवारा कुत्तों तथा बिल्लियों

जीवाणु जनित रोग (Bacterial Diseases)

1. तपेदिक या क्षय रोग (Tuberculosis or TB) - इसे सामान्यतया टीबी कहते हैं। रोगजनक (Pathogen) - माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Micro-bacterium tuberculosis) ।      संचरण (Transmission) - वायु द्वारा। लक्षण (Symptoms) - थकान लगना , शरीर का वनज कम होना , कफ के साथ रक्त आना , जुकाम तथा बुखार होना , छाती में दर्द रहना , आवाज भारी होना , ज्यादा चलने पर सांस फूलना , लसिका ग्रन्थि का फूलना , आहार नाल व फेंफड़ें प्रभावित। रोग का प्रसार (Disease transmission) - टीबी रोगी के साथ सोने , बैठने , उठने , खाने-पीने से , कुपोषण से , संक्रमित पशु (गाय , बकरी) का दूध पीने से , संक्रमित व्यक्ति की उपयोग की गई वस्तुओं के उपयोग से , धूम्रपान , हुक्कापान व तम्बाकू सेवन से। बचाव के उपाय (Precautions) - क्षय रोगी को अलग रखना , उसकी व्यक्तिगत वस्तुओं को अलग रखना , उचित समय पर टीकाकरण , कहीं भी नहीं थूकना , खांसते समय मुंह पर कपड़ा या रूमाल रखना चाहिए। उपचार (Treatment) - उपचार हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन , विटामिन बी-कॉम्पलेक्स तथा आइसोनिएजिड उपयोगी औषधियां हैं। बचाव के लिए BCG (Bacillus