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वायरस जनित रोग (Viral Diseases)

1. पोलियो [Polio] -

रोगजनक (Pathogen) - पोलियो वायरस व एन्टेरोवायरस (Polio virus & Antero virus)

एन्टेरोवायरस (Antero virus) सबसे छोटा वायरस हैं।

संचरण (Transmission) - वायु एवं जल द्वारा।

लक्षण (Symptoms) - मेरूरज्जु, मस्तिष्क एवं पैर प्रभावित, बुखार आना, माँसपेशियों का सिकुड़ना, प्रभावित हाथ/पैर का विकास धीमा, सिर दर्द, उल्टी, गर्दन में दर्द, तंत्रिका तंत्र के नष्ट होने से प्रभावित हाथ या पैर का कार्य करना बंद। 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों को पोलियों हो सकता हैं।

बचाव के उपाय (Precautions) - पोलियो की दवा पिलाकर।

उपचार (Treatment) - चिकित्सकीय निर्देशानुसार ऑपरेशन, जयपुर फुट का उपयोग, फिजियोथेरेपी आदि।

 

2. रेबीज (जलांतक) [Rabies] 🐕🐶 -

रोगजनक (Pathogen) - रेबीज वायरस (Rabies virus)

संचरण (Transmission) - संक्रमित कुत्ता, बंदर, लोमड़ी, भेड़िया जिनकी लार में रेबीज वायरस होते हैं।

लक्षण (Symptoms) - तेज बुखार आना, सिर दर्द, बैचेनी, कंठ का अवरूद्ध होना, पानी से डर लगना।

बचाव के उपाय (Precautions) - आवारा कुत्तों तथा बिल्लियों की रोकथाम, पालतू तथा आवारा जानवरों का टीकाकरण।

उपचार (Treatment) - रेबीज ग्रस्त जानवर के संपर्क में नहीं आना, घाव को पानी तथा साबुन से धोना, डॉक्टर की देखरेख में एण्टी रेबीज इंजेक्शन लगवाना।

 

3. छोटी माता (चिकन पॉक्स) [Chicken pox] -

रोगजनक (Pathogen) - वेरीसेला जोस्टर व हर्पीज वायरस (Varicella jouster & Harpies virus)

संचरण (Transmission) - वायु या सीधे सम्पर्क द्वारा।

लक्षण (Symptoms) - हल्का/मध्यम बुखार आना, पीठ में दर्द, घबराहट, पूरे शरीर पर दाने-दाने, पहले गले पर फिर चेहरे पर और फिर पैरों पर, 4 से 7 दिनों बाद दानो पर पपड़ी जमना।

बचाव के उपाय (Precautions) - रोगी से अन्य लोगों को दूर रखना, रोगी की व्यक्तिगत वस्तुओं को अलग करना।

उपचार (Treatment) - कुछ खास तरह से तैयार मल्हम व नारियल का तेल दानों पर लगाना, सम्बन्धित दवाईयां लेना।

 

4. खसरा (मीसल्स) [Measles] -

रोगजनक (Pathogen) - रूबेला वायरस (Rubeola virus)

संचरण (Transmission) - वायु द्वारा।

लक्षण (Symptoms) - चमड़ी पर लाल-लाल दाने उभरना, खुजली होना, जलन होना आदि।

बचाव के उपाय (Precautions) - रोगी व्यक्ति को पूरी तरह से अलग रखना, रोगी की वस्तुओं को अलग रखना, टीकाकरण।

उपचार (Treatment) - एंटिसेप्टिक क्रीम लगाना, चिकित्सक के निर्देशानुसार दवाई लेना।

 

5. सर्दी-जुकाम [Common cold] 😷 -

रोगजनक (Pathogen)राइनोवायरस (Rhinovirus)

संचरण (Transmission) - वायु द्वारा।

लक्षण (Symptoms) - श्वास नलिका की ऊपर की श्लेष्मा झिल्ली, नाक तथा गला संक्रमित, आँख तथा नाक से तरल पदार्थ का निकलना, आँखों में जलन।

बचाव के उपाय (Precautions) - खाँसते, छींकते समय मुँह को ढकना, साफ रूमाल का उपयोग करना।

उपचार (Treatment) - चिकित्सकीय सलाह, विटामिन-सी की मात्रा बढ़ाना, भाप लेना।

 

6. एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएन्सी सिन्ड्रोम: एड्स [Acquired Immuno Deficiency Syndrome; AIDS] -

यह एक घातक रोग हैं, जिसमें रोगी का प्रतिरक्षी तंत्र नष्ट हो जाता हैं, जिससे मनुष्य के रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती हैं।

रोगजनक (Pathogen)HIV (Human Immuno Deficiency Virus)

संचरण (Transmission) - संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण, असुरक्षित यौन संबंधों के कारण, रक्त लेते समय एवं इंजेक्शन लगवाते समय दूषित सुई से, संक्रमि ब्लेड, उस्तरे तथा नाई द्वारा काम में लाए जाने वाले धारदार उपकरणों से होता हैं, संक्रमित माँ से गर्भ में पल रहे बच्चों को।

लक्षण (Symptoms) - लसिका ग्रंथियों में सूजन, रक्त की ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या में कमी जिससे ज्वर तथा रक्त स्राव होता हैं, रात्रि के समय पसीना आना, शरीर में वनज में कमी, स्मृति कम, बोलने में कठिनाई, सोचने की क्षमता में कमी, प्रतिरोधी क्षमता कम होने के कारण अन्य रोगों के संक्रमण का खतरा।

बचाव के उपाय (Precautions) - दाढ़ी बनवाने के पूर्व यह सुनिश्चित करें कि एक उस्तरे से सभी की दाढ़ी नहीं बनाऐं, रक्त चढ़ाए जाने से पूर्व एच.आई.वी. परीक्षण, सीरिंज और इंजेक्शन की सुई को उपयोग के बाद नष्ट करना, संयमित जीवन शैली अपनाना।

उपचार (Treatment) - एड्स से बचाव ही उपचार हैं।

 

7. हिपेटाइटिस ए [Hepatitis-A] -

रोगजनक (Pathogen) - हिपेटाइटिस-ए वायरस (HAV; Hepatitis-A Virus)

संचरण (Transmission) - जल द्वारा।

लक्षण (Symptoms) - लीवर का कमजोर होना, लीवर में पानी भरना, पाचन क्षमता का कम होना,

बचाव के उपाय (Precautions) - उबले हुए पेयजल का प्रयोग, टीकाकरण।

उपचार (Treatment) - अन्य प्रति जैविक दवाइयाँ चिकित्सकीय सलाह पर लेनी चाहिए।

 

8. स्वाइन फ्लू [Swine Flu] -

रोगजनक (Pathogen)H1N1 Virus

संचरण (Transmission) - संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर, गंदे व संक्रमित हाथ।

लक्षण (Symptoms) - गले में तकलीफ, जुकाम, बुखार।

बचाव के उपाय (Precautions) - अपने हाथों को साबुन से बार-बार धोएँ, छींकते व खाँसते समय रूमाल या टिश्यु पेपर का उपयोग करें, भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें, मास्क का प्रयोग करें।

उपचार (Treatment) - टैमी फ्लू।

 

9. डेंगू [Dengue] 🦟 -

रोगजनक (Pathogen) - डेंगू वायरस (Dengue virus)

संचरण (Transmission) - डेंगू बुखार संक्रमित व्यक्ति द्वारा मादा ऐडिस ऐजिप्टाई मच्छर के माध्यम से फैलता हैं, मच्छरों के गंदे पानी में पनपने के कारण, कीटों के पनपने के कारण, मच्छरों के काटने के कारण, प्लेटलेट्स की संख्या कम होने के कारण, गंदगी के कारण, खून के अभाव के कारण।

लक्षण (Symptoms) - संक्रमित मच्छर काटने के तीन से चौदह दिनों बाद डेंगू बुखार के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं -

-तेज ठंड लगकर बुखार आना, सरदर्द, आँखों में दर्द, बदनदर्द या जोड़ों में दर्द, भूख कम लगना, जी मचलाना, उल्टी, दस्त लगना, चमड़ी के नीचे लाल चकते आना, गम्भीर स्थिति में आँख नाक में से खून निकलना।

बचाव के उपाय (Precautions) - घर के अंदर और आस-पास पानी जमा नहीं होने दें, अगर किसी चीज मे हमेशा पानी जमाकर रखते हैं, तो पहले उसे साबुन और पानी से अच्छे से धो लेना चाहिए, जिससे मच्छर के अण्डों को हटाया जा सके, घर में कीटनाशक का छिड़काव करें, कूलर का काम न होने पर उसमे जमा पानी निकालकर सुखा देना चाहिए, खिड़की और दरवाजे में जाली लगानी चाहिए, शरीर को पूरा ढककर रखना चाहिए, रात को सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करना चाहिए।

उपचार (Treatment) - रोगी को तुरंत डॉक्टर की सलाह अनुसार आराम करना चाहिए और समय पर दवा लेनी चाहिए, रोगी को पर्याप्त मात्रा में आहार और पानी लेना चाहिए, नियमित प्लेटलेट्स की जाँच करानी चाहिए, पपीते के पत्ते का रस पीना चाहिए, क्योंकि इससे प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ती हैं।

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