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सर्प दंशन उपकरण (Snake Biting Apparatus)

 अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर सांप पाए जाते हैं। सांप जमीन पर, समुद्र में, जंगलों में, घास के मैदानों में, झीलों में, और रेगिस्तान में भी पाए जाते है। अधिकांश सांप बिना उकसावे के मनुष्यों के प्रति आक्रामक व्यवहार नहीं दर्शाते हैं।

सांप माँसाहारी होते हैं और इनके शिकार में कीड़े, पक्षी, छोटे स्तनधारी, और अन्य सरीसृप, कभी-कभी दूसरें सांप भी शामिल होते हैं। दुनियाभर में केवल 400 से 3000 सांप की प्रजातिया जहरीली है। 

भारत में, केवल 330 प्रजातियां हैं और उनमें से केवल 69 प्रजातियां जहरीली है। कई सांप अपने शिकार को कसकर मार देते हैं। इस प्रक्रिया में सांप अपने शिकार के chest के चारो ओर मजबूत पकड बनाता है, जिससे शिकार का दम घुटता है या फिर कई बार कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के कारण भी शिकार की मृत्यु हो जाती है।

सांप कोल्ड ब्लडेड (Cold Blooded) होते है| सर्पदंश से होने वाले लोगो की मृत्यु की कोई निश्चित जानकारी तो नही है, लेकिन डब्ल्यूएचओ (WHO- World Health Organisation) के रिकॉर्ड के अनुसार, दुनिया में हर साल सांप के काटने से लगभग 30000 से 40000 लोगों की मौत हो जाती है। सर्पदंश उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में और उन क्षेत्रों में जो मुख्य रूप से कृषि होती है आम समस्या हैं। इन क्षेत्रों में, बड़ी संख्या में लोग कई सांपों के साथ रहते हैं। 

जहरीले सांपों में पाई जाने वाली विष ग्रंथि लार ग्रंथि का ही एक रूप हैं। प्रत्येक सर्पदंश में विष होना आवश्यक नहीं है, अर्थात् सांप यह नियंत्रित कर सकते हैं कि जहर छोड़ना है या नहीं और कितना छोड़ना है। 


सूखा सर्पदंश (Dry Bite):-

एक ऐसा दंश है जहां सांपों द्वारा कोई जहर इंजेक्ट नहीं किया जाता है, इस प्रकार का सर्पदंश 25% से 50% के बीच होता है।

Snake Bite
Source :- https://www.imgnai.com 
(Representative image)



दंशन तंत्र(Biting Apparatus):-

सर्प के दंशन तंत्र में निम्नलिखित भाग होते हैं:-

1.एक जोड़ी विष ग्रंथि

2.ग्रंथि नलिका

3.एक जोड़ी दंत


जहरीले सांपों में विष ग्रंथियाँ ऊपरी जबडे के दोनों ओर एक-एक स्थित होती हैं। विष ग्रंथी विकसित लार ग्रंथियाँ ही होती हैं। प्रत्येक विष ग्रंथि इसके पिछले हिस्से पर संकरी नलिका से जुडी होती है। नलिका ऊपरी जबडे से गुजरती हुई दंत के आधार पर खुलती है। विष ग्रथि मांसपेशियों से घिरी होती है, जब ये मांसपेशियाँ संकुचित होती है, तो हल्का पीला विष नलिका के माध्यम से दांतो तक पहुँच जाता है। 

 सांपों के दाँत विकसित मैक्जिलरी दांत होते हैं। यदि ये दाँत किसी वजह से टूट जाते है, तो वापस आ जाते है।


1.विष ग्रंथियाँ:-

सांप में एक जोडी विष ग्रंथि पाई जाती है, जो कि वास्तव में पैरोटिड गं्रथि होती है। पश्च लिगामेंट की सहायता से ये ग्रंथि मैक्जिला से जुडी होती हैं। 


2.विष वाहिनी/नलिका:-

प्रत्येक विष ग्रंथि इसके पिछले हिस्से पर संकरी नलिका से जुडी होती है। नलिका ऊपरी जबडे से गुजरती हुई दंत के आधार पर खुलती है।


3.विष दंत:-

सांपों के दाँत विकसित मैक्जिलरी दांत होते हैं। यदि ये दाँत किसी वजह से टूट जाते है, तो वापस आ जाते है। संरचना के आधार पर ये 4 प्रकार के होते हैः-

I. प्रोटेरोग्लाइफस (Proteroglyphous):- ये दंत तुलनात्मक रूप से छोटे होते है और मैक्जिला के अग्र भाग में स्थित होते हैं। इसके पश्च भाग में खाँच होती है। उदाहरण:- कोबरा, क्रेत, समुद्री सर्प आदि।


II. स्टेनोग्लाइफस (Stenoglyphous):- इस प्रकार के दंत चल होते है और अंदर की तरफ मुडे होते है। विष वाहिनी नलिका दंत के अग्र सिरे पर खुलती है। उदाहरणः- वाइपर और रेटल सर्प।


III. ऑपिस्थोग्लाइफस (Opisthoglyphous):- ये दंत छोटे होते है और मैक्जिला के पश्च भाग की तरफ होते है। इनके पश्च भाग में खाँच होती है।


IV. अग्लाइफस (Aglyphous):- इस प्रकार के दंत ऐसे सांपो में पाए जाते है, जो जहरीले नहीं होते है।

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