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रेडियो इम्यूनो एसे (Radio Immuno Assay)

 परिचय (Introduction) :-

रेडियो इम्यूनो एसे एंटीजन एवम् एंटीबॉडी के परीक्षण की एक विधि है। यह तकनीक 1960 में S.A. Berson और Rosalyn Yalow द्वारा विकसित की गई। RIA का सिद्धान्त रेडियो चिह्नित एंटीजन और अचिह्नित एंटीजन के एंटीबॉडी से प्रतियोगी बंधन पर आधारित है।

रेडियो इम्यूनो एसे (Radio Immuno Assay)


प्रक्रिया (Process):-
चिह्नित एंटीजन को एक विशिष्ट सांद्रता, जो कि एंटीबॉडी की एंटीजन बाइंडिंग स्थल को संतृप्त कर देती है, पर एंटीबॉडी के साथ मिश्रित किया जाता है। इसके बाद अचिह्नित एंटीजन जिसकी सांद्रता ज्ञात नहीं है, को बढ़ती हुई मात्रा में मिलाया जाता है। अब ये दोनो प्रकार की एंटीजन, एंटीबॉडी से बंधन के लिए प्रतिस्पर्धा करती है। जैसे जैसे अचिह्नित एंटीजन की मात्रा को बढ़ाया जाता है, बंधन स्थलों से चिह्नित एंटीजन प्रतिस्थापित होती जाती है। विशिष्ट एंटीबॉडी से बंधित रेडियो चिह्नित एंटीजन की मात्रा में कमी से नमूने में उपस्थित एंटीजन की मात्रा ज्ञात की जाती है।
एंटीजन को सामान्यत: गामा उत्सर्जी आइसोटोप जैसे - 125I से चिह्नित किया जाता है। लेकिन कभी कभी बीटा उत्सर्जी आइसोटोप जैसे - ट्रिटियम का उपयोग भी कर लिया जाता है। यह रेडियो चिह्नित एंटीजन एसे मिश्रण (Assay Mixture) का ही भाग होता है। नमूना कोई मिश्रण, जैसे - सीरम या अन्य कोई शरीर द्रव्य हो सकता है, जिसमे अचिह्नित एंटीजन होती है।
RIA का पहला चरण एसे मिश्रण में एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रेडियो सक्रिय एंटीजन (Ag*) की 50 से 70% मात्रा को बांधने हेतु एंटीबॉडी की मात्रा की गणना करना है।यह Ag* एंटीबॉडी अनुपात यह सुनिश्चित करने के लिए चुना जाता है कि लेबल प्रतिजन द्वारा प्रस्तुत किए गए एपिटोप्स की संख्या हमेशा एंटीबॉडी बाध्यकारी साइटों की कुल संख्या से अधिक रहे। फलस्वरूप अचिह्नित एंटीजन, रेडियो चिह्नित एंटीजन से एंटीबॉडी से जुड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा करती है। इस कारण रेडियो चिह्नित एंटीजन एंटीबॉडी से कम जुड़ पाती है। यह कमी मिश्रण में अचिह्नित एंटीजन की मात्रा के समानुपाती होती है।
बंधित चिह्नित एंटीजन की मात्रा की गणना के लिए, एंटीजन - एंटीबॉडी कॉम्प्लेक्स को मुक्त एंटीजन से अलग करने के लिए अवक्षेपित किया जाता है और अवक्षेपित्र में रेडियो सक्रियता की गणना की जाती है। एक ज्ञात सांद्रता के अचिह्नित एंटीजन नमूने से एक मानक वक्र तैयार किया जा सकता है, और इसके आधार पर नमूने में एंटीजन की मात्रा ज्ञात की जा सकती है।

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