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जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering)

 जेनेटिक इंजीनियरिंग क्या है?

जेनेटिक इंजीनियरिंग एक तकनीक है जिसमें जीवों के अनुकूल विशेषताओं को प्राप्त करने के लिए उनके जीनों में बदलाव किये जाते हैं। इस तकनीक से, वैज्ञानिक विभिन्न जीनों को एक जीव से दूसरे जीव में स्थापित कर सकते हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग के उपयोग से, मानव और जीवों में उपयोगी गुणों को प्राप्त किया जा सकता है जैसे कि बीमारियों के इलाज, जैव प्रौद्योगिकी और कृषि उत्पादन। इस तकनीक का उपयोग लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है जो कि प्रकृति द्वारा नहीं हो सकती है।

Genetic Engineering
Image Source - askyack.com



जेनेटिक इंजीनियरिंग एक तकनीक है जिसमें जीवों के जीनों में बदलाव किये जाते हैं। जीनों में ये बदलाव वैज्ञानिक द्वारा किए जाते हैं ताकि जीवों के विशिष्ट विशेषताओं को बढ़ावा दिया जा सके।


जेनेटिक इंजीनियरिंग के उपयोग -

जेनेटिक इंजीनियरिंग के उपयोग से, मानव और जीवों में उपयोगी गुणों को प्राप्त किया जा सकता है जैसे कि बीमारियों के इलाज, जैव प्रौद्योगिकी और कृषि उत्पादन। जैसे कि जीवों के जीनों में परिवर्तन करके, दीर्घ विरासत में मौजूद बीमारियों के लक्षणों को रोका जा सकता है और स्वस्थ जीवों को निर्मित किया जा सकता है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा, जैव प्रौद्योगिकी में उपयोग होने वाली अनेक उत्पादों को तैयार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अंडे से बनी वेजिटेरियन मांस से लेकर, एंटीकैंसर और अन्य जीवन बचाने वाली दवाओं के लिए जीवों के जीनों में परिवर्तन करके नए द्रव्यों को निर्मित किया जा सकता है


जेनेटिक इंजीनियरिंग का अन्य एक उपयोग है कृषि उत्पादन में। गेहूं, चावल, मक्का, आलू आदि जैसे फसलों में उन्नत विशेषताओं को विकसित करने के लिए जीनों का उपयोग किया जाता है। यह फसलों के उत्पादकता और महंगाई कम करने में मदद करता है और भीषण उत्पादकता वाली फसलों को विकसित करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा नई जीवनशैली और उनके उपयोगों के निर्माण में भी मदद मिलती है। जैसे कि संयंत्रों के उत्पादन में उपयोग होने वाली संश्लेषणीय पदार्थों को तैयार करने के लिए जीवों के जीनों का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग खेती, चिकित्सा विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में व्यापक रूप से किया जाता है।


जेनेटिक इंजीनियरिंग के और भी कई उपयोग होते हैं, जैसे कि नये और सुरक्षित दवाओं के विकसित किए जाने के लिए उसका उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से लक्षणों के आधार पर विभिन्न रोगों के नए उपचार भी विकसित किए जा सकते हैं।

जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग भीषण रोगों जैसे कि कैंसर और एचआईवी के इलाज में भी किया जा सकता है। इस तकनीक से डीएनए परिवर्तन करके विशिष्ट विवरणों को लक्षित किया जा सकता है जिससे इन रोगों के इलाज में मदद मिल सकती है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग के अन्य उपयोग में विशेष रूप से प्रजनन विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी आदि शामिल होते हैं।

हालांकि, जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग भी संदेहास्पद हो सकता है। कुछ लोग इस तकनीक से आयोजित जीवनशैलियों का विरोध करते हैं, और इससे वातावरण और स्वास्थ्य पर असर होने का भी डर होता है।

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