कई सदियों पहले, नुमा (Numa) नामक एक रोमन राजा ने 12 चंद्र चक्रों (Lunar Cycles) के अनुसार एक कैलेंडर बनाया था। जिसमें लगभग 354 दिन लगते हैं। लेकिन जैसा कि सम संख्याओं (Even Numbers) को अशुभ (Unlucky) माना जाता था, नुमा ने दिनों को 355 तक सीमित कर दिया। उन्होंने एक महीने को छोड़कर हर महीने को विषम संख्या (Odd Number) वाला बना दिया। यानी फरवरी 28 दिनों के साथ कुल 355 पर पहुंच गया।
लेकिन जैसे पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365.24 दिन लगते हैं। 355-दिवसीय कैलेंडर के साथ मौसम और मौसम की स्थिति बेमेल होने लगी। इसके बाद जूलियस सीजर (Julius Caesar) आया, जिसने मिस्रवासियों के सौर कैलेंडर (Solar Calendar of the Egyptians) का पालन करने का फैसला किया। इसकी शुरुआत में जनवरी और फरवरी थे। उन्होंने फरवरी को छोड़कर हर महीने में दिन जोड़कर कैलेंडर को 365 दिनों में बना दिया।
अभी भी प्रत्येक वर्ष 0.24 दिन शेष बचे थे, उन्होंने हर 4 साल बाद फरवरी में 1 दिन जोड़ा। इसे लीप ईयर (Leap Year) कहते हैं।
इस प्रकार फरवरी में लीप वर्ष को छोड़कर 28 दिन होते हैं।
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