पिनीयल ग्रन्थि को तीसरी आँख के अवशेष के रूप में तथा कार्यात्मक अन्तःस्त्रावी ग्रन्थि के रूप में जाना जाता हैं। यह मस्तिष्क के पृष्ठ भाग में तीसरे निलय की छत से जुड़ी होती हैं, यह उत्पत्ति में एक्टोडर्मल होती हैं। इसमें केन्द्रिय तंत्रिका तंत्र के साथ प्रत्यक्ष रूप से संबंध नहीं होता हैं। यह आकृति में भिन्न होती हैं तथा भार में लगभग 150 मिली. ग्राम की होती हैं, लेकिन यह अत्यधिक संवहनीय होती हैं तथा अनेक हॉर्मोन स्त्रावित करती हैं, जिसमें मेलेशन सम्मिलित हैं।
मानवों की पिनीयल ग्रन्थि में प्रकाश संवेदी कोशिकाऐं नहीं होती, जैसे कि निम्नतर कशेरूकीयों में पाई जाती हैं। निम्नतर कशेरूकीयों में पिनीयल आँख समान होती हैं। पिनीयल ग्रन्थि जैविक क्लॉक के रूप में कार्य करती हैं, तंत्रिकास्त्रावी परिवर्तक सूचनाओं को परिवर्तित करते हैं। अंधेरे के समय मेलेटोनिन बनता हैं। इसका निर्माण बाधित होता हैं, जब प्रकाश आँख में प्रवेश करता हैं तथा रेटिनल तंत्रिकाओं को उद्दीप्त करता हैं। ये आवेगों को हाइपोथेलेमस में संचरित करते हैं तथा अंत में पिनीयल ग्रन्थि तक।
इसके परिणाम में मेलेटोनिन स्त्रावण का संदमन होता हैं। इस प्रकार मेलेटोनिन का स्त्राव Diurnal dark-light चक्र द्वारा उत्पन्न होता हैं। मेलेटोनिन शरीर तापमान, उपापचयन, वर्णकीकरण, रज चक्र तथा सुरक्षा क्षमता का नियन्त्रण करता हैं।
पिनीयल ग्रन्थि द्वारा स्त्रावित हॉर्मोन्स का वर्णन निम्नानुसार हैं -
1.मेलेटोनिन -
यह अमीनों अम्ल ट्रिप्टोफेन से निर्मित होता हैं तथा मध्य पीयूष के मेलेनोसाइट स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन व अग्र पीयूष ग्रन्थि के गोनेडोट्रोपिन हॉर्मोन के विपरीत कार्य करने वाला हॉर्मोन हैं। यह हॉर्मोन उभयचर में त्वचा के हल्के रंग हेतु उत्तरदायी होता हैं, जबकि स्तनधारियों में यह गोनेडोट्रोपिन के विपरीत कार्य करने के कारण लैंगिक परिपक्वता की समयावधि को बढ़ा देता हैं।
2. सेरेटोनिन हॉर्मोन -
यह हॉर्मोन वेसो-कॉन्ट्रिक्टर के समान कार्य करता हैं, अर्थात् रक्त वाहिनियों के व्यास को छोटा करने का कार्य करता हैं।
पिनीयल काय हमारे शरीर में उपस्थित Diurnal ग्रन्थि हैं, अर्थात् इस ग्रन्थि से हॉर्मोनों के स्त्रावण की निर्भरता प्रकाश की तीव्रता पर होती हैं। दिन में यह ग्रन्थि हॉर्मोनों का अल्पस्त्रवण करती हैं, जबकि रात्रि में यह स्त्रवण को बढ़ा देती हैं।
इस ग्रन्थि के स्ट्रोमा भाग में ब्रेन सेण्ड (Brain sand) मौजूद होती हैं, यह कैल्सियम कार्बोनेट के जमा हुए कण है, जिन्हें मस्तिष्क के एक्स-रे में आसानी से देखा जा सकता हैं।
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