Skip to main content

पैराथाइरॉइड ग्रन्थि (Parathyroid gland)

ये छोटी मटर आकृति की ग्रन्थियाँ हैं, जो थायरॉइड के ठीक पास में ही होती हैं। ये पेराथार्मोन (कॉलिप हॉर्मोन) स्त्रावित करती हैं। ये रक्त में कैल्सियम स्तर का फीडबैक नियंत्रण करती हैं। रक्त कैल्सियम में कमी से पेराथार्मोन का स्त्रावण होता हैं, रक्त में कैल्सियम की वृद्धि से पेराथार्मोन स्त्रावण का संदमन होता हैं।

          पेराथार्मोन रक्त प्लाज्मा में कैल्सियम आयन सान्द्रता को बढ़ाता हैं, क्योंकि यह अस्थियों से प्लाज्मा तक अनेक कैल्सियम आयन लाता हैं तथा कैल्सियम का मूत्र से निष्कासन को कम करता हैं। यह तब स्त्रावित होता हैं, जब प्लाज्मा में कैल्सियम आयन सान्द्रता घटती हैं तथा यह पुनः प्लाज्मा में कैल्सियम आयन सान्द्रता पुनः सामान्य करता हैं। इसके विपरीत यह मूत्र में फॉस्फेट निष्कासन को बढ़ाता हैं, जिससे प्लाज्मा में फॉस्फेट सान्द्रता कम होती हैं। अतः पेराथार्मोन कैल्सियम तथा फॉस्फोरस की उपापचय को नियमित करता हैं।

Parathyroid gland
Parathyroid gland
 


कैल्सियम समस्थैतिकता -

  • रक्त में कैल्सियम आयन के सामान्य स्तर से उच्च स्तरता पर थायरॉइड ग्रन्थि की पेराफॉलिकुलर कोशिकाएँ उद्दीपित होती हैं।
  • ये अत्यधिक केल्सिटोनिन स्त्रावित करती हैं। जिससे कैल्सियम आयन का स्तर बढ़ता हैं।
  • केल्सिटोनिन अस्थि ऊत्तक की मेट्रिक्स में रक्त कैल्सियम आयन के जमाव को प्रमोट करती हैं। यह रक्त कैल्सियम आयन स्तर को घटाता हैं।
  • रक्त में कैल्सियम आयन के सामान्य से कम स्तर पर पेराथायरॉइड ग्रन्थि की प्रमुख कोशिकाएँ उद्दीपित होती हैं।
  • ये रक्त में कैल्सियम आयन के स्तर के गिरने पर अधिक पेराथायरॉइड हॉर्मोन (PTH) स्त्रावित करते हैं।
  • PTH हॉर्मोन अस्थि मेट्रिक्स से रक्त में कैल्सियम आयन के स्त्रावण को प्रमोट करता हैं। मूत्र में कैल्सियम आयन की हानि को कम करता हैं। यह क्रिया रक्त में कैल्सियम आयन के स्तर को बढ़ाती हैं।
  • PTH केल्सिट्रायोल को स्त्रावित करने के लिए वृक्क को उद्दीपित करता हैं।
  • केल्सिट्रायोल जठर-आंत्रीय नाल में भोजन से कैल्सियम आयन के अवशोषण की वृद्धि को उद्दीपित करता हैं, जो कैल्सियम आयन के रक्त में स्तर को बढ़ाने में सहायक हैं।

 

पेराथायरॉइड के विकार -

1.हाइपोथायरॉइडिज्म -

.पेराथायरॉइड टीटेनी -

यदि पेराथायरॉइड पेराथार्मोन की अपर्याप्त मात्रा को स्त्रावित करने में विफल होती हैं, तो प्लाज्मा में असामान्य रूप से कैल्सियम आयन की सान्द्रता घटती हैं। कैल्सियम आयन की कमी के कारण तंत्रिकाओं तथा पेशियों की उत्तेजनशीलता को बढ़ाता हैं, जो उद्दीपकों के उपयोग किए बिना विध्रुवीकरण करता हैं। फलस्वरूप कंठ, चेहरे, हाथ तथा पैर की पेशियों का टीटेनी उत्पन्न करता हैं। यह रोग पेराथायरॉइड टीटेनी कहलाता हैं। यह पेराथायरॉइड की दुर्घटनाग्रस्त क्षति के कारण भी होता हैं।

 

2. हाइपरथायरॉइडिज्म -

. ऑस्टीटिस फाइब्रोसा सिस्टिका -

पेराथायरॉइड ट्युमर पेराथार्मोन की अत्यधिक मात्रा स्त्रावित करता है, जो रक्त में अस्थि खनिजों के गमन में वृद्धि, अस्थियों की कोमलता, प्लाज्मा में कैल्सियम आयन की सान्द्रता में वृद्धि तथा वृक्क नलिकाओं व अन्य कोमल ऊत्तक में कैल्सियम का जमाव करता हैं। यह ऑस्टीटिस फाइब्रोसा सिस्टिका करता हैं।

Comments

Popular Posts

B.Sc Part-III Practical Records Complete PDF Free Download

पाचन की कार्यिकी (Physiology of Digestion)

1. मुखगुहा में पाचन (Digestion in mouth) - पाचन की प्रक्रिया यांत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा सम्पन्न होती हैं। मुखगुहा के मुख्यतः दो कार्य होते हैं- (अ) भोजन को चबाना व (ब) निगलने की क्रिया।

ओर्निथिन चक्र (Ornithine cycle)

यकृत में अमोनिया से यूरिया बनाने की क्रिया भी होती हैं। यह एक जटिल रासायनिक प्रतिक्रिया है , जिसे ऑर्निथिन चक्र (Ornithine cycle) कहते हैं। इसी का नाम क्रेब्स-हैन्सेलेट (Krebs-Henslet cycle) चक्र भी हैं। यूरिया बनने की संपूर्ण प्रक्रिया एक चक्रीय प्रक्रिया हैं तथा इसमें अमोनिया , कार्बनडाइऑक्साइड एवं अमीनो अम्ल का समूह भाग लेते हैं। इसलिए ही इसे ‘ ऑर्निथीन-ऑर्जिनीन चक्र ’ (Ornithine-Arginine cycle) भी कहते हैं। यह निम्न पदों में पूरा होता हैं -   Ornithine cycle