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हॉर्मोन क्रिया की आण्विक क्रियाविधि (Molecular Mechanism of Hormone Action)

केटेकोलामिन्स, पेप्टाइड तथा प्रोटीन हॉर्मोन लिपिड-विलेय नहीं हैं, इसलिए प्लाज्मा झिल्ली की द्विलिपिड परत द्वारा उनकी लक्षित कोशिकाओं में प्रवेश नहीं हो सकता हैं। इसके अलावा जल विलये हॉर्मोन सतह ग्राही के साथ आकर्षित होते हैं, जैसे कि ग्लाइकोप्रोटीन। इन्सुलिन हॉर्मोन सुअध्ययनित उदाहरण प्रदान करता हैं।

Molecular Mechanism of Hormone Action
Molecular Mechanism of Hormone Action
 


बाह्यकोशिकीय ग्राही -

इन्सुलिन के झिल्लीबद्ध ग्राही हेटेरोटेट्रामेरिक प्रोटीन हैं, जो चार उपइकाईयों की बनी होती हैं, दो a-उपइकाईयाँ कोशिका की सतह से बाहर निकलती हैं तथा इन्सुलिन से जुड़ती हैं तथा दो b-उपइकाई जो झिल्ली में ही रहती हैं तथा कोशिकाद्रव्य में निकलती हैं।

 

ग्राही से बंधन -

इन्सुलिन का ग्राही की बाहरी उपइकाईयों से जुड़ना झिल्ली में ही स्थित b-उपइकाइयों में अनुरूपित परिवर्तन करता हैं। उदाहरण - टाइरोसिन काइनेज एन्जाइम। सक्रिय b-उपइकाई ग्राही के कोशिकाद्रव्यी डोमेन में स्थित विशिष्ट टाइरोसिन उपचयों के फॉस्फेट समूहों को जोड़ती हैं।

 

द्वितीय संदेशवाहक-मध्यस्थ -

b-उपइकाई की सक्रियता के परिणाम में ट्रांसड्युसर G-प्रोटीन फॉस्फोडाईएस्टरेज एन्जाइम को सक्रिय करता हैं। यह एन्जाइम फॉस्फेटिडाइलिनोसिटोल 4,5-बाईफॉस्फेट को मध्यस्थ के युग्म इनोसिटोल ट्राईफॉस्फेट तथा डाई एसाइल ग्लिसरॉल में तोड़ता हैं। इनोसिटोल ट्राईफॉस्फेट जल विलेय हैं तथा कोशिका द्रव्य में विसरित होता हैं तथा अंतराकोशिकीय कैल्सियम मध्यवर्ती प्रक्रियाओं के लिए अन्य संदेशवाहक कैल्सियम आयनों के स्त्राव को प्रेरित करता हैं। जबकि डाई एसाइल ग्लिसरॉल झिल्ली में रहता हैं, जहाँ यह प्रोटीनी काइनेज C एन्जाइम को सक्रिय करता हैं, जो कि अन्य एन्जाइमों जैसे- पाइरूवेट डीहाइड्रोजिनेज को सक्रिय करता हैं।

 

एन्टागोनिस्टिक प्रभाव -

एक कोशिका एक से अधिक द्वितीयक संदेशवाहकों का उपयोग करती हैं। हृदय कोशिकाओं में cAMP द्वितीयक संदेशवाहक के रूप में कार्य करता हैं, जो एड्रीनलिन की प्रतिक्रिया में पेशी कोशिका के संकुचन को बढ़ाता हैं, जबकि चक्रिक ग्वानोसिन मोनोफॉस्फेट दूसरे द्वितीयक संदेशवाहक के रूप में कार्य करता हैं, जो एसीटाइल कोलीन की प्रकिया में पेशी संकुचन को धीमा करता हैं। यह इस प्रकार से होता हैं कि अनुकम्पी तथा परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र हृदय स्पन्दन पर एन्टागोनिस्टिक प्रभाव डालती हैं। एन्टागोनिस्टिक का दूसरा उदाहरण इन्सुलिन हैं, जो रक्त शर्करा स्तर को कम करता हैं।

 

सिनरजिस्टिक प्रभाव -

हॉर्मोनल अन्योन्य क्रिया का दूसरा प्रकार सिनरजिस्टिक प्रभाव कहलाता हैं। इसमें दो या अधिक हॉर्मोन एक-दूसरे की क्रिया के पूरक होते हैं तथा ये हॉर्मोन प्रभाव की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक होते हैं। उदाहरण स्वरूप - स्तन ग्रन्थि द्वारा दूध के उत्पादन, स्त्रावण तथा निष्कासन के लिए एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन, प्रोलेक्टिन तथा ऑक्सिटोसिन के सिनरजिस्टिक प्रभाव की आवश्यकता होती हैं।

 

अन्तःकोशिकीय ग्राही -

केटेकोलेमिन तथा पेप्टाइड हॉर्मोन के विपरीत स्टेरॉइड व थायरॉइड हॉर्मोन लिपिडि-विलेय होते हैं तथा कोशिकाद्रव्य में लक्षित कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली द्वारा तीव्रता से गुजरते हैं। वहाँ से विशिष्ट अन्तःकोशिकीय ग्राही प्रोटीन से जुड़ते हैं तािा संकुल बनाते हैं, जो केन्द्रक में प्रवेश करता हैं तथा गुणसूत्र पर विशिष्ट नियामक स्थल पर जुड़ता हैं। यह बंधन जीन अभिव्यक्ति के पैटर्न को आंशिक रूप से परिवर्तित करता हैं तथा कुछ जीनों के अनुलेखन को प्रारम्भ करता हैं, जबकि अन्य के अनुलेखन को प्रदर्शित करता हैं। इसके परिणाम में विशिष्ट mRNA अनुवादन उत्पाद, प्रोटीन तथा प्रायः एन्जाइम का उत्पादन होता हैं।

 

लिपिड विलेय हॉर्मोन की क्रिया जल विलेय हॉर्मोन की क्रिया की अपेक्षा धीमी तथा लम्बे समय तक होती हैं। ये कार्यिकीय प्रतिक्रियाऐं करती हैं, जो कि स्टेरॉइड हॉर्मोन का अभिलक्षण हैं।

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