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कुपोषण (Malnutrition)

अधिकांश भारतीयों के भोजन में चाहे वह गरीब हो या अमीर, वृद्ध हो या युवा, स्त्री हो या पुरूष, गर्भवती माता हो या धात्री, किसी-न-किसी पौष्टिक तत्वों की अधिकता या कमी रहती ही हैं। विशेषकर गरीब किसान, मजदूर तथा निम्न आर्थिक वर्ग के लोगों का भोजन गुणात्मक (Qualitative) तथा परिमाणात्मक (Quantitative) दोनों ही दृष्टि से अपर्याप्त होता हैं।

          भारत की अधिकांश गरीब जनता को प्रतिदिन सुबह-शाम भरपेट दाल-रोटी भी नसीब नहीं होती हैं। अतः वे प्रोटीन-कैलोरी कुपोषण से भयंकर रूप से पीड़ित होते हैं। कुछ गरीब परिवार के बालकों को भरपेट अनाज (Cereals) भी नहीं मिलता हैं, परिणामतः उनके शरीर में ऊर्जा उत्पादक भोज्य तत्वों की भी कमी होती हैं तथा वे निर्बल, कमजोर, निशक्त एवं थके-थके दिखाई देते हैं। गर्भवती तथा धात्री माता की दशा भी कम दयनीय नहीं हैं।

 

          विश्व के कई देश कुपोषण के शिकार हैं। कुपोषण तीव्र व दीर्घकालिक रोगों में आमतौर पर पाया जाता हैं। अस्पतालों में भर्ती वयस्क व्यक्तियों में >50% कुपोषण पाया जाता हैं। यह अस्पताल में भर्ती मरीजों की अस्वस्थता एवं मृत्युदर (Morbidity and Mortality) को बढ़ाता हैं। कुपोषणता प्रमुख रूप से कई प्रकार के भूख (Starvation) के परिणामस्वरूप होती हैं। कम भोजन का ग्रहण करना या असामान्य भोजन का गेस्ट्रोइन्टेस्टाइनल एसीमिलेशन, तनाव (Stress) एवं असामान्य पोषक उपापचय।

          कुपोषण का अर्थ बहुत अधिक कम भार का होना या बहुत अधिक भार होना होता हैं। हमारे देश में कुपोषण का प्रमुख कारण कम पोषकता के ग्रहण करना होता हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर प्रोटीन्स की कमी, ऊर्जा संग्रहक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं। सूखाग्रस्थ (Famine) क्षेत्र में कुपोषण विशेष क्षेत्री होता हैं। जहां बहुत कम भोजन उपलब्ध होता हैं।

 

कुपोषण की परिभाषा (Definition of Malnutrition) -

यह पोषण की वह स्थिति हैं, जिसके कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती हैं, यह एक या एक से अधिक तत्वों की कमी या अधिकता या असंतुलन के कारण होती हैं, जिसके कारण शरीर रोगग्रस्त हो जाता हैं।’

 

कुपोषण की स्थितियाँ (Stages of Malnutrition) -

1.अति पोषण (Over Nutrition) -

जब व्यक्ति के आहार में कुछ पौष्टिक तत्वों की अधिकता हो जाती हैं तथा यह अधिकता लम्बे समय तक चलती रहती हैं, तो अति पोषण (Over Nutrition) कहलाता हैं। इसके कारण कईं रोग हो जाते हैं, जैसे- मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्त चाप, हाइपर विटामिनोसिस ‘ए’ तथा ‘डी’ आदि।

 

2. अल्प पोषण (Under Nutrition) -

ज्ब व्यक्ति के भोजन में किसी-न-किसी पौष्टिक तत्व की कमी बनी रहती हैं, तो वैसा पोषण अल्प पोषण (Under Nutrition) कहलाता हैं। इसके कारण कईं बीमारियां हो जाती हैं, जैसे- मैरास्मस, क्वाशियोरकॉर, अंधता, स्कर्वी, रिकेट्स, बेरी-बेरी, रक्त अल्पता आदि। विकासशील तथा अविकसित देशों के अधिकांश लोगों में अल्प पोषण के कारण कईं बीमारियाँ हो जाती हैं। भारत में 70-80 प्रतिशत 1-5 वर्ष तक के बालक तथा गर्भवती माताएं रक्त अल्पता (Anemia) रोग से ग्रस्त होती हैं। अल्प पोषण भी दो तरह का होता हैं -

 

क.प्राथमिक अल्प पोषण (Primary Under Nutrition) -

यह भोजन में पौष्टिक तत्वों के निरंतर कमी के कारण होता हैं।

 

ख. द्वितीयक अल्प पोषण (Secondary Under Nutrition) -

ज्ब व्यक्ति द्वारा समुचित मात्रा में सभी पौष्टिक तत्वों से परिपूरित आहार ग्रहण किया जाता हैं, परन्तु शरीर में उनका पाचन, अवशोषण, उपापचय एवं संग्रहण सही प्रकार से नहीं हो पाता हैं तथा वे पौष्टिक तत्व मल, मूत्र, पसीने द्वारा शरीर से बाहर उत्सर्जित हो जाते हैं। इस कारण ‘द्वितीयक अल्प पोषण’ की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं। उदाहरणार्थ - फोलिक अम्ल की ठीक प्रकार अवशोषण न होने से रक्त अल्पता रोग हो जाना, शरीर में कैल्सियम एवं फास्फोरस का उचित प्रकार से अवशोषण नहीं होने के कारण रिकेट्स तथा ऑस्टियोमलेशिया आदि रोग हो जाते हैं।

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