Disorders of Nervous System |
1.न्यूराइटिस (Neuritis) -
यह तंत्रिकीय कोशिकाओं में रोगाणुओं द्वारा होने वाला संक्रमण हैं। यह मुख्य रूप से परिधिय तंत्रिका तंत्र में पाया जाता हैं।
2. मेनिन्जाइटिस (Meningitis) -
यह मस्तिष्क तथा मेरूरज्जु के सुरक्षात्मक आवरण ( अर्थात् मेनिन्जेस झिल्लियों) में होने वाला संक्रमण हैं, जो मुख्य रूप से जीवाणु या विषाणु द्वारा फैलता हैं।
3. पार्किन्सन्स डिजीज (Parkinson’s Disease)-
यह आनुवंशिक कारक अथवा विशिष्ट जीवन शैली के कारण उत्पन्न होने वाला रोग हैं। इस रोग में मस्तिष्क में पृष्ठिय गैंग्लियॉन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके फलस्वरूप डोपेमिन (Dopamine) के स्त्रवण में कमी होने लगती हैं, इसके कारण रोगी की ऐच्छिक क्रियाओं का नियमन धीमा हो जाता हैं अथवा रूक जाता हैं। रोग के प्रारंभिक लक्षणों में ऐच्छिक गतियों के दौरान उत्पन्न होने वाली झूझन अथवा कंपन्न (Tremor and Shivering) दिखाई देते हैं।
4. विल्सन्स डिजीज (Wilson’s Disease) -
इस रोग में Parkinson’s रोग के सभी लक्षणों के साथ यकृतिय कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से यकृत संबंधी रोग उत्पन्न होने लगते हैं।
5. एल्जाइमर (Alzheimer)-
इस रोग में मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस भाग की तंत्रिकाओं में क्षति उत्पन्न होती हैं, जिसके फलस्वरूप न्यूरोट्रांसमीटर एसीटाइल कोलीन की मात्रा में कमी होने लगती हैं। इस रोग में रोगी की याद्दाश्त में कमी होती हैं तथा अत्यधिक गंभीर अवस्था में रोगी अपने परिवार के सदस्यों को पहचानने में भी असक्षम हो जाता हैं।
6. साइजोफ्रेनिया (Schizophrenia) -
यह मुख्य रूप से वातावरणीय अथवा सामाजिक कारकों अधिकांश अवस्थाओं में पारिवारिक सदस्यों अथवा मित्रों द्वारा Ignorance (नकारने की अवस्था में) तथा विशिष्ट अवस्थाओं में आनुवंशिकी कारकों द्वारा उत्पन्न होने वाला रोग हैं।
इस रोग में मस्तिष्क की गुहाओं का आकार बढ़ जाता हैं, जिसके फलस्वरूप मस्तिष्क में CSF की मात्रा में वृद्धि होने लगती हैं तथा अधिक मात्रा में उपस्थित CSF मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में दाब उत्पन्न कर तंत्रिकीय कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करता हैं। इस रोग के मुख्य लक्षण निम्न हैं -
- Hallucination (उन वस्तुओं को देखने का आभास होना तथा ध्वनि का सुनाई देना जिनका रोगी की वास्तविक जिंदगी से कोई संबंध ना हो)
- Delusion (रोगी का भ्रम की मेरे लिए किसी भी कार्य को सम्पन्न करना असंभव नहीं हैं)
गंभीर अवस्थाओं में ये रोगी आत्महत्या के प्रयास करने लगते हैं।
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