1. प्रोटीन की कमी के कारण होने वाले रोग (Diseases due to Protein deficiency) -
मनुष्य को शारीरिक विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती हैं। बच्चों में प्रोटीन की कमी से सर्वाधिक कुपोषण होता हैं। जिससे दो मुख्य रोग होते हैं -
Ⅰ. क्वाशियोरकोर (Kwashiorkor) -
यह प्रोटीन की कमी के कारण हाने वाला रोग हैं। इसके मुख्य लक्षण जैसे- भूख कम लगना, शरीर सूज कर फूलना, त्वचा पीली व शुष्क होना और चिड़चिड़ा होना।
Ⅱ. मैरेस्मस (Marasmus) -
यह रोग भोजन में प्रोटीन व कैलोरी दोनों की कमी से होता हैं। इसमें शरीर सूखने लगता हैं, रोगी दुबला-पतला, चेहरा दुर्बल तथा आंखें कांतिहीन और अंदर धंसी-सी हो जाती हैं।
2. कार्बोहाइड्रेट की कमी से होने वाले रोग (Diseases due to Carbohydrate deficiency) -
स्ंतुलित भोजन में कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत होता हैं, इस कारण इसकी कमी से कई सारे गंभीर रोग हो जाते हैं।
Ⅰ. हाइपोग्लाईसीमिया (Hypoglycemia) -
कार्बोहाइड्रेट की कमी से ग्लूकोज की शरीर में अनुपलब्धता से रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट हो जाती हैं। रक्त में ग्लूकोज की कमी से चक्कर आना, थकान व ऊर्जा में कमी आदि लक्षण नजर आते हैं।
3. खनिज लवणों की कमी से होने वाले रोग (Diseases due to Mineral deficiency) -
खनिज वे पदार्थ हैं, जो हड्डियों, ऊत्तकों व दांतों को मजबूत बनाकर स्वस्थ शरीर का निर्माण करते हैं। महत्वपूर्ण खनिजों की कमी से शरीर में कई रोग उत्पन्न होते हैं, जो निम्न हैं -
Ⅰ. कैल्शियम और विटामिन ‘डी’ (Calcium & Vitamin D) -
हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। कैल्शियम की कमी से हड्डियों, पेशियों में दर्द एवं ऐंठन जैसे लक्षण दिखते हैं, जिसके कारण बार-बार फ्रेक्चर की शिकायत रहती हैं। वयस्क शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है कि मैग्नीशियम का स्तर भलीभांति हो, क्योंकि इसकी कमी से पोटैशियम, सोडियम तथा कैल्शियम में कमी आ जाती हैं। जिससे झटके, ऐंठन तथा मितली आदि लक्षण दिखाई देते हैं। पौटेशियम मांसपेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता हैं। आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती हैं, जिससे एनीमिया रोग उत्पन्न होता हैं। जिंक मानसिक विकास तथा प्रतिरक्षा तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
Ⅱ. गलगण्ड रोग (Goiter) -
आयोडीन हमारे शरीर की महत्वपूर्ण आवश्यकता हैं। यद्यपि इसकी बहुत कम मात्रा भी पर्याप्त होती हैं। आयोडीन की मदद से थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्त्रावित होता हैं, जो उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित करता हैं। आयोडीन के अभाव में कई विकार उत्पन्न होते हैं, जिससे मानसिक व शारीरिक वृद्धि विकार उत्पन्न होते हैं। इसके कारण थायरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता हैं, जिसे गलगण्ड या घेंघा रोग कहते हैं।
4. विटामिन की कमी से होने वाले रोग (Diseases due to Vitamin deficiency) -
विटामिन का निर्माण मनुष्य के शरीर में नहीं होता हैं, अतः इसकी आपूर्ति भोजन द्वारा की जाती हैं। विटामिन की कमी से होने वाले रोग निम्नानुसार हैं -
Ⅰ. रतौंधी (Night Blindness) -
यह रोग विटामिन-A की कमी से उत्पन्न होता हैं, जिसके कारण रोग को रात में दिखाई नहीं देता हैं।
Ⅱ. बैरी-बैरी (Beri-beri) -
यह रोग विटामिन-B1 की कमी से होता हैं, जो सीधे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता हैं, जिससे रोगी के भूख में कमी, शरीर में कमजोरी, पेशियों में निष्क्रियता के लक्षण रहते हैं।
Ⅲ. स्कर्वी (Scurvy) -
यह रोग विटामिन-C की कमी से होता हैं। इसके कारण त्वचा पर चकते बनना, मसूड़ों से रक्त बहना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। इसकी कमी से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी आ जाती हैं।
Ⅳ. रिकेट्स (Rickets) -
विटामिन-D के अभाव में बच्चों में रिकेट्स नामक रोग हो जाता हैं तथा वयस्कों में इसे ‘ऑस्टीयोपोरोसिस’ (Osteoporosis) कहते हैं। इस रोग में अस्थि विकलांगता उत्पन्न होती हैं, जिससे टांगें धनुषाकार, कबूतरनुमा वक्ष तथा दांतों में इनेमल का क्षय होना प्रारंभ हो जाता हैं।
Ⅴ. बन्ध्यता (Sterility) -
विटामिन-E की कमी से शरीर में नपुंसकता आ जाती हैं।
Ⅵ. हेमरेज (Hemorrhage) -
यह रोग विटामिन-K की कमी से होता हैं। अतः चोट लगने पर रक्त का बहाव बंद नहीं होता हैं एवं सारा रक्त शरीर से बह जाता हैं और रक्त की कमी से मनुष्य की मृत्यु हो जाती हैं।
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