समसूत्री विभाजन के प्रकार -
1.क्रिप्टोमाइटोसिस या प्रोमाइटोसिस (Cryptomitosis or promitosis) -
यह आदिम प्रकार का समसूत्री विभाजन हैं। इसमें केन्द्रक झिल्ली लुप्त नहीं होती। इसे ‘अन्तः केन्द्रकीय केन्द्रक विभाजन’ भी कहते हैं। सभी परिवर्तन केन्द्रक में होते हैं तथा तर्कुओं का निर्माण भी केन्द्रक में होता हैं। इन्हें अन्तः केन्द्रकीय तर्कु तंतु भी कहते हैं। इन जीवों में तारककाय नहीं होता हैं। उदाहरण - कुछ प्रोटोजोअन्स (जैसे- अमीबा)।
2. डायनोमाइटोसिस (Dinomitosis) -
हिस्टोन्स की अनुपस्थिति के कारण इनमें गुणसूत्रों का संघनन नहीं होता। केन्द्रक झिल्ली लुप्त नहीं होती तथा अंतः केन्द्रीय तर्कु का निर्माण होता हैं। उदाहरण - डायनोफ्लैजिलेट्स (Mesokaryote) ।
क्रिप्टोमाइटोसिस व डायनोमाइटोसिस प्रीमाइटोसिस (Premitosis) कहलाते हैं।
3. एण्डोमाइटोसिस (Endomitosis) -
बिना केन्द्रकीय विभाजन के गुणसूत्रीय विभाजन एण्डोमाइटोसिस कहलाता हैं। इससे बहुगुणिता प्रेरित होती हैं, क्योंकि गुणसूत्रीय सैट संख्या बढ़ जाती हैं।
कॉल्चिसीन बहुगुणिता को प्रेरित करता है, जो कि कॉल्चिकम औटमनेल पादप से प्राप्त होता हैं। यह एक लिलिएसी कुल का पादप हैं। इसे समसूत्री विष या मीठा जहर भी कहते हैं। यह तर्कु तंतु को व्यवस्थित होने से रोकता हैं।
अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रकार -
1.युग्मनजीय अर्द्धसूत्री विभाजन -
जब अर्द्धसूत्री विभाजन युग्मनज के परिवर्धन के दौरान हो, तो इसे युग्मनजीय अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं। इसे आरंभिक अर्द्धसूत्री विभाजन भी कहते हैं। उदाहरण- थैलोफाइटा।
2. बीजाणुक अर्द्धसूत्री विभाजन -
जब अर्द्धसूत्री विभाजन बीजाणु निर्माण के दौरान हो, तो इसे बीजाणुक अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं। इसे मध्यवर्ती अर्द्धसूत्री विभाजन भी कहते है। उदाहरण - अधिकतर पादपों में (ब्रायोफाइटा से एंजियोस्पर्म तक)।
3. युग्मकीय अर्द्धसूत्री विभाजन -
जब अर्द्धसूत्री विभाजन युग्मक निर्माण के दौरान हो, तो इसे युग्मकीय अर्द्धसूत्री विभाजन कहते है। इसे सीमांत अर्द्धसूत्री विभाजन भी कहते हैं। उदाहरण- अधिकतर जंतुओं में।
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