हमारे शरीर में कोशिकाओं की वृद्धि और विभेदन अत्यधिक नियंत्रित व नियमित होता हैं, लेकिन कैंसर कोशिकाओं में यह नियामक क्रियाविधि टूट जाती हैं। प्रसामान्य कोशिकाओं में संस्पर्श संदमन का गुण पाया जाता हैं, इसी गुण के कारण दूसरी कोशिकाओं में उनका संस्पर्श उनकी अनियंत्रित वृद्धि को संदमित करता है, लेकिन कैंसर कोशिकाओं में यह गुण समाप्त हो जाता हैं, जिसके फलस्वरूप कैंसर कोशिका विभाजित होना जारी रखकर कोशिकाओं का भंडार बनाती हैं, जिसे अर्बुद (Tumor) कहते हैं।
अर्बुद 2 प्रकार के होते हैं -
1.सुर्दम अर्बुद (Benign tumor) -
इसमें विभाजनशील कोशिकाएं शरीर के किसी स्थान विशेष में ही सीमित रहती हैं और वहाँ पर अर्बुद बनाती हैं, इसे ऑपरेशन द्वारा शरीर से अलग किया जा सकता हैं। अतः यह अधिक हानिकारक नहीं होता हैं।
2. दुर्दम अर्बुद (Malignant tumor) -
दुर्दम अर्बुद प्रचुरोद्भवी कोशिकाओं का पुन्ज होता हैं, जो नवद्रव्यी कोशिकाएं कहलाती हैं। ये बहुत तेजी से बढ़ती हैं और आस-पास के सामान्य ऊत्तकों पर हमला कर उन्हें क्षति पहुँचाती हैं। अर्बुद कोशिकाएं सक्रियता से विभाजित और वर्धित होती हैं, जिससे वे अत्यावश्यक पोषकों के लिए सामान्य कोशिकाओं से स्पर्धा करती हैं और उन्हें भूखा मारती हैं। ऐसी अर्बुद की कोशिकाएं रक्त द्वारा दूर-दराज स्थानों पर पहुँच जाती हैं और जहाँ भी यह जाती हैं वहाँ पर नए अर्बुद बनाना प्रारंभ कर देती हैं। कैंसर कोशिकाओं के इस गुण को ‘मेटास्टेटिस’ कहते हैं। दुर्दम अर्बुद अत्यधिक हानिकारक होता हैं।
कैंसर के प्रकार (Types of Cancer) -
1.कार्सीनोमा (Carcinoma) -
उपकला ऊत्तक व ग्रंथियों में दुर्दम वृद्धि ‘कार्सीनोमा’ कहलाती हैं। जैसे- त्वचा, आमाशय, अग्नाशय, फेंफड़े व स्तन ग्रंथियों का कैंसर।
2. सार्कोमा (Sarcoma) -
यह कैंसर भ्रूणीय मीसोडर्म से उत्पन्न संयोजी ऊत्तक में होने वाली दुर्दम वृद्धि हैं। जैसे- पेशियों, अस्थि व लसीका गाँठों में होने वाला कैंसर।
3. ल्यूकेमिया (Leukemia) -
यह रूधिर का कैंसर हैं, जिसमें अस्थिमज्जा में कोशिकाओं के अनियमित प्रचुरोद्भवन के कारण रूधिर में ल्यूकोसाइट (WBC) की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो जाती हैं।
कैंसर के कारण (Causes of Cancer) -
- प्रसामान्य कोशिकाओं का कैंसर कोशिका में रूपांतरण को प्रेरित करने वाले कारक भौतिक, रासायनिक तथा जैविक होते हैं। ये कारक कैंसरजन कहलाते हैं।
- एक्स-किरण तथा गामा-किरणें जैसी आयनकारी विकिरण और पराबैंगनी जैसी अनआयनकारी विकिरण प्रसामान्य कोशिका को कैंसर कोशिका में रूपान्तरित करती हैं।
- तंबाकू के धुएं में मौजूद रासायनिक कैंसरजन फेंफड़े के कैंसर का कारण बनते हैं।
- कैंसर उत्पन्न करने वाले विषाणु अर्बुदीय विषाणु (Oncogenic Virus) कहलाते हैं। इनमें जो जीन होते हैं, उन्हें विषाण्विक अर्बुद जीन (Onco gene) कहते हैं।
- प्रसामान्य कोशिकाओं में कईं जीनों का पता चला हैं, ये जीन कोशिकीय अर्बुद जीन (Cellular Oncogene or C-Onc) या आदि अर्बुद जीन (Proto oncogene) कहलाते हैं। जो कुछ विशेष परिस्थितियों में सक्रिय हो जाने पर कोशिकाओं को कैंसरजनी रूपांतरण कर देती हैं।
- प्रोटोऑन्कोंजीन सक्रिय ऑन्कोजीन में परिवर्तित हो जाता हैं। सक्रिय ऑन्कों जीन के प्रभाव से कोशिकाएं अनियंत्रित व अनियमित रूप से विभाजित होकर कैंसर उत्पन्न करती हैं।
कैंसर के लक्षण (Characters of Cancer) -
- कोई तिल या मस्सा जो बढ़ता जा रहा है, और उसमें खुजली का होना या रक्तस्त्राव का होना।
- लगातार पुनरावृत्त होने वाला तीव्र सिरदर्द।
- लम्बे समय तक घाव का नहीं भरना।
- स्तनों में गांठे व विरूपताओं का होना।
- योनि द्वारा रक्तस्त्राव व मासिक चक्र के बीच में रक्तस्त्राव का होना।
- लगातार गले में खराश व बलगम में खून का आना।
कैंसर अभिज्ञान और निदान (Tests for Cancer) -
- कैंसर विज्ञान ऊत्तकों की बायोप्सी (Biopsy) और ऊत्तक विकृति अध्ययनों तथा बढ़ती कोशिका गणना के लिए रूधिर तथा अस्थि मजा परीक्षण पर आधारित होता हैं।
- बायोप्सी में जिस ऊत्तक पर संदेह होता हैं, उसका एक टुकड़ा लेकर पतले अनुच्छेदों में काटकर व अभिरंजित कर रोगवैज्ञानिक द्वारा जाँचा जाता है कि कैंसर हैं या नहीं।
- आंतरिक अंगों के कैंसर का पता लगाने के लिए विकिरण चित्रण (रेडियोगा्रफी) जिसमें एक्स-किरणों का उपयोग किया जाता हैं, अभिकलित टोमोग्राफी (CT Scan) और चुम्बकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) जैसी तकनीके बहुत उपयोगी हैं।
- अभिकलित टोमोग्राफी में एक्स-किरणों का उपयोग करकें किसी अंग के भीतरी भागों का त्रिविम प्रतिबिम्ब बनाया जाता हैं। जीवित ऊत्तकों में पैथोलॉजिकल व फिजियोलॉजिकल परिवर्तनों का पता लगाने के लिए MRI का उपयोग किया जाता हैं। MRI में तेज चुम्बकीय क्षेत्रों तथा अनआयनकारी विकिरणों का उपयोग किया जाता हैं।
- कुछ कैंसरों का पता लगाने के लिए कैंसर विशिष्ट प्रतिजनों के विरूद्ध प्रतिरक्षियों का भी उपयोग किया जाता हैं।
- कैंसर जीनों का पता लगाने के लिए आण्विक जैविकी की तकनीकों को काम में लाया जाता हैं।
कैंसर का उपचार (Treatment of Cancer) -
1.शल्य चिकित्सा -
शरीर पर कहीं भी गांठ अथवा अर्बुद महसूस होने पर उसे सर्जरी द्वारा निकलवा देना चाहिए और उनकी बायोप्सी करानी चाहिए।
2. रेडियोथेरेपी / विकिरण चिकित्सा -
विकिरण चिकित्सा में अर्बुद कोशिकाओं को विकिरण द्वारा नष्ट किया जाता हैं।
3. कीमोथेरेपी / रसोचिकित्सकीय औषधि -
कईं रसायनों के द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता हैं। उदाहरण - विनक्रिस्टीन व विनब्लास्टिन।
अधिकांश औषधियों के अनुसंघी प्रभाव होते हैं, जैसे - बालों का झड़ना, अरक्तता (रक्त का कम होना)
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