यह चिकित्सा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसके द्वारा हृदय की कार्यशील अवस्था (Functioning or beating heart) में तंत्रिकाओं तथा पेशियों द्वारा उत्पन्न विद्युतीय संकेतों (Electrical signals) का अध्ययन कर उनको रिकॉर्ड किया जाता है। इस कार्य में प्रयुक्त उपकरण इलेक्ट्रोकॉर्डियोंग्राफ (Electrocardiograph) कहलाता है तथा विद्युत संकेतों के ग्राफीकल रिकॉर्ड को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) कहते हैं।
ECG |
इस तकनीक में संचलन जैल (Conducting jelly) का प्रयोग करते हुए उपकरण के तीन इलेक्ट्रोड क्रमशः मरीज के वक्ष, कलाई तथा पैरों पर लगाये जाते हैं। इनसे प्राप्त विद्युत संकेत क्षीण प्रकृति (Low amplitude) के होते हैं, जिनको उपकरण में लगी उपयुक्त प्रणाली से अभिवृद्धित (Amplify) कर संवेदी चार्ट रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया जाता है। आधुनिक तथा उन्नत किस्म के इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफ में 12 या अधिक इलेक्ट्रोड़ों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें 6 विभिन्न स्थानों पर लगा कर त्रिविमीय आरेख प्राप्त किया जा सकता है। इसे वेक्टरकार्डियोग्राफी (Vectorcardiography) कहते हैं।
ई.सी.जी. में हृदय के विभिन्न कक्षों या भागों के संकुचन तथा शिथिलन के समय होने वाली विद्युतीय गतिविधियों के संकेत एक निश्चित पैटर्न की तरंगों के रूप में प्राप्त होते हैं। इन तरंगों को P,Q,R,S एवं T तरंगें कहते हैं। प्रत्येक वर्ण (letter- P,Q,R,S & T) हृदय पेशियों में घटित एक विशिष्ट अवस्था का द्योतक हैं।
इनके अध्ययन के द्वारा हृदय की असामान्यता के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। ई.सी.जी. से हृदय धमनी संबंधी रोग (Coronary artery disease) हृदयघनाग्रता (कोरोनरी थ्रोम्बोसिस), हृदयावरणी शूल (पेरीकार्डाइटिस), हृदय पेशी रूग्णता (कार्डियोमायोपेथी), मध्य हृदय पेशी शूल (मायोकार्डाइटिस) आदि का निदान किया जाता हैं।
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