CT Scan = Computed Tomography Scan
यह चिकित्सा विज्ञान की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसमें एक्स किरणों (X-rays) के प्रयोग को कम्प्यूटर तकनीक के साथ संयोजित करते हुए शरीर के किसी भाग का द्विविमीय अथवा त्रिविमीय (Two or Three dimensional) अनुप्रस्थ काट (Cross sectioned) चित्र प्राप्त किया जा सकता है। इस चित्र (Image) में समस्त अंग अलग-अलग स्पष्ट दिखाई देते हैं। इस तकनीक का विकास ब्रिटेन के भौतिक विज्ञानी गॉडफ्रे हॉन्सफील्ड (Godfrey Hounsfield) द्वारा 1968 में किया गया। इन्हें इस खोज के लिए 1979 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस तकनीक के सैद्धान्तिक आधार की विवेचना एक भारतीय वैज्ञानिक श्री गोपालसमुद्रम एन. रामचन्द्रन (G.N. Ramachandran) ने प्रस्तुत की। सी.टी. स्कैन (जिसे कम्प्यूटेड एक्सियल टोमोग्राफी स्कैन, CAT Scan भी कहते हैं।) तकनीक में एक्स किरणों की अल्प मात्रा युक्त पुंज (Beam) 360 डिग्री पर घूमती हुई मरीज के एक पतले क्रॉस सैक्शन जैसे भाग से गुजरती है। इस समय ऊत्तक अपने घनत्व (Density) के अनुरूप विकिरण की कुछ मात्रा का अवशोषण कर लेते हैं। यह विकिरण पुंज शरीर से बाहर आने पर प्रकाश संवेदी क्रिस्टल संसूचक (Detector) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक संकेतों (Electronic signals) में बदल जाता है, जिसे कम्प्यूटर क्रमवीक्षक (Computer scanner) को संप्रेषित (Transmitted) कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक पुनरावृत्त होती है जब तक कि शरीर की काट के किसी स्तर को सभी कोणों से नहीं प्रेक्षित कर लिया जाए। इन आँकड़ों का कम्प्यूटर द्वारा विश्लेषण किया जाता है। इस परीक्षण में थोड़ी-थोड़ी दूरी की क्रॉस काटों के स्तरों पर चित्रों की एक श्रृंखला प्राप्त हो जाती हैं, अतः ये क्रमवीक्षण कहलाते हैं।
सी.टी. स्कैन का उपयोग शरीर के किसी भी हिस्से का चित्र प्राप्त करने में कर सकते हैं। यह तकनीक मस्तिष्क, मेरूरज्जु, छाती, उदर इत्यादि से सम्बन्धित रोगों के निदान में सहायक सिद्ध होती हैं। इस परीक्षण से अर्बुदों (Tumors) की जाँच तथा आस-पास के ऊत्तकों में उनके प्रसार के बारे में अत्यधिक उपयोगी जानकारी प्राप्त होती हैं।
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