कोशिकीय संरचना तथा कोशिकीय घटकों के आधार पर सजीव
निम्न दो प्रकार की कोशिकाऐं दर्शाते हैं -
1.प्रोकेरियोटिक कोशिका
(Prokaryotic cell) -
प्रोकेरियोटिक शब्द दो ग्रीक शब्दों ‘प्रो’ तथा ‘केरियोन’ से मिलकर बना हैं, जिनका अर्थ क्रमशः ‘प्राथमिक विकसित’ तथा ‘केन्द्रक’
हैं। अर्थात् ऐसी सभी कोशिकाऐं जिनमें स्पष्ट केन्द्रक का अभाव हो,
प्रोकेरियोटिक कोशिका कहलाती हैं।
ऐसी
कोशिका जिसमें केन्द्रक झिल्ली अनुपस्थित होने के कारण स्पष्ट केन्द्रक का अभाव हो,
साथ ही कोशिका में झिल्लीयुक्त कोशिकांग भी अनुपस्थित हो, प्रोकेरियोटिक कोशिका कहलाती हैं। उदाहरण- आर्किजीवाणु, जीवाणु, नील-हरित शैवाल, माइकोप्लाज्मा
आदि।
प्रोकेरियोटिक कोशिका की संरचना
(Structure of prokaryotic cell) -
प्रोकेरियोटिक कोशिका की संरचना का विस्तृत अध्ययन
करने हेतु एक प्रारूपिक जीवाणु कोशिका की इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शीय संरचना का
अध्ययन करते हैं, जो इस प्रकार हैं -
2. यूकेरियोटिक कोशिका
(Eukaryotic cell) -
यूकेरियोटिक शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दो ‘यू’ तथा ‘केरियोन’ से मिलकर बना हैं, जिनका क्रमशः अर्थ- ‘सत्य’ तथा ‘केन्द्रक’ हैं। अर्थात् ऐसी कोशिकाऐं जिनमें स्पष्ट केन्द्रक तथा झिल्लीयुक्त
कोशिकांग उपस्थित होते हैं, यूकेरियोटिक कोशिकाऐं कहलाती
हैं। उदाहरण - मोनेरा जगत को छोड़कर शेष सभी जीवों की कोशिकाऐं।
प्रोकेरियोटिक तथा यूकेरियोटिक कोशिकाओं में निम्न मुख्य अंतर होता हैं -
प्रोकेरियोटिक कोशिका
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यूकेरियोटिक कोशिका
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ये कोशिकाऐं आदिम प्रकार की होती हैं।
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ये विकसित प्रकार की
होती हैं।
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इनमें केन्द्रक झिल्ली अनुपस्थित होने के कारण सत्य प्रकार का
केन्द्रक अनुपस्थित होता हैं।
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वास्तविक केन्द्रक
उपस्थित होता हैं।
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केन्द्रिका अनुपस्थित होती हैं।
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केन्द्रक में
केन्द्रिका उपस्थित होती हैं।
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डी.एन.ए. नग्न प्रकार का होता हैं।
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गुणसूत्र में घिरा
डी.एन.ए उपस्थित होता हैं।
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आनुवंशिक पदार्थ तथा केन्द्रक द्रव्य, कोशिका
द्रव्य के मध्य भाग में बिखरा होता हैं, जिसे
केन्द्रकाभ/जीनोफोर कहते हैं।
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केन्द्रकाभ/जीनोफोर
अनुपस्थित तथा इसके स्थान पर स्पष्ट केन्द्रक उपस्थित होता हैं।
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झिल्लीयुक्त कोशिकांग जैसे- हरितलवक, माइटोकॉन्ड्रिया,
अन्तःप्रर्दव्यी जालिका, गॉल्जीकाय, सूक्ष्मकाय आदि अनुपस्थित होते हैं।
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सभी झिल्लीयुक्त
कोशिकांग उपस्थित होते हैं।
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माइटोकॉन्ड्रिया के स्थान पर मिजोसोम्स उपस्थित होते हैं। ये
कोशिका झिल्ली में मिलने वाले सूक्ष्म आकार के आंतरिक वलन ही होते हैं। इनमें भी
श्वसन (ऑक्सीकरण) के एंजाइम उपस्थित होते हैं।
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माइटोकॉन्ड्रिया
उपस्थित होता हैं।
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कोशिका भित्ति प्रायः पेप्टीडोग्लाइकॉल या म्यूकोपेप्टाइड की
बनी होती हैं। इनमें म्यूरेमिक अम्ल भी उपस्थित होता हैं। माइकोप्लाज्मा कोशिका
भित्ति रहित होती हैं।
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प्रायः सेल्युलोज की
बनी होती हैं। (पादपों में) लेकिन पेप्टिन की उपस्थिति भी रहती हैं। कुछ पौधों
में काइटिन की बनी भित्ति भी मिलती हैं। जैसे- कवकों में । प्राणी कोशिका
भित्ति रहित होती हैं।
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सूक्ष्मनलिकाऐं, सूक्ष्मतंतु नहीं मिलते। अतः
कोशिकाओं में सूक्ष्मनलिकाओं में 9+2 व्यवस्था भी नहीं
मिलती हैं।
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ये सभी संरचनाऐं
उपस्थित होती हैं।
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राइबोसोम मुक्त प्रकार के अथवा पॉलीराइबोसोम के रूप में मिलते
हैं। ये राइबोसोम 70s
प्रकार के होते हैं।
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राइबोसोम्स मुक्त एवं
बहुराइबोसोम्स के रूप में मिलते हैं तथा ये राइबोसोम्स 80s प्रकार
के कोशिकाद्रव्य में तथा 70s प्रकार के कुछ कोशिकांगों
(माइटोकॉन्ड्रिया, हरितलवक) में मिलते हैं।
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प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन
नहीं मिलता लेकिन असूत्री प्रकार से द्विविभाजन मिलता हैं। इस विभाजन में किसी
प्रकार के तर्कु तंतु नहीं बनते।
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समसूत्री एवं
अर्धसूत्री विभाजन मिलते हैं तथा तर्कुतंतुओं का निर्माण भी होता हैं।
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लैंगिक जनन अनुपस्थित होता हैं। उदाहरण- आर्किजीवाणु,
जीवाणु, नीलहरित शैवाल, माइकोप्लाज्मा।
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लैंगिक जनन मिलता हैं।
उदाहरण- प्रोकेरियोटिक जीवों को छोड़कर अन्य सभी जीवों की कोशिकाऐं एवं जीव।
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प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में नॉन- हिस्टोन प्रोटीन ही मिलती
हैं।
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यूकेरियोटिक कोशिकाओं
में हिस्टोन एवं नॉन- हिस्टोन दोनों प्रकार की प्रोटीन मिलती हैं।
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पादप व जंतु कोशिका में अंतर (Differences between plant & animal cell) -
पादप कोशिका व जंतु कोशिका दोनों यूकेरियोटिक कोशिका
हैं,
लेकिन इनमें कुछ अंतर पाए जाते हैं, जो
निम्नानुसार हैं -
पादप कोशिका
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जंतु कोशिका
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पादप कोशिका सेल्यूलोज से निर्मित भित्ति से घिरी होती हैं। अतः
पादप कोशिका की आकृति निश्चित होती हैं।
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जंतु कोशिका में कोशिका
भित्ति अनुपस्थित होती हैं। अतः जंतु कोशिका की आकृति अनिश्चित होती हैं।
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पादप कोशिका में केन्द्रक एक तरफ स्थित होता हैं, क्योंकि
इन कोशिकाओं में रिक्तिका सुविकसित होती हैं।
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केन्द्रक कोशिका के
मध्य भाग में स्थित होता हैं तथा रिक्तिका अल्पविकसित या अनुपस्थित होती हैं।
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केवल कुछ शैवालों एवं ब्रायोफाइट्स को छोड़कर पादप कोशिकाओं मंे
तारककाय अनुपस्थित होता हैं।
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सभी प्राणी कोशिकाओं
में सामान्यतः केन्द्रक के समीप तारककाय उपस्थित होता हैं।
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सामान्यतः पादप कोशिकाओं में हरितलवक उपस्थित होता हैं, लेकिन
अपवादस्वरूप कवकों में हरितलवक नहीं मिलता।
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जंतु कोशिका में
सामान्यतः हरितलवक अनुपस्थित होते हैं, अपवादस्वरूप युग्लीना ऐसा
प्रोटोजोअन होता हैं, जो प्रकाश संश्लेषण कर सकता हैं। अतः
इसे पौधे एवं जंतु की योजक कड़ी कहा जाता हैं।
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कोशिका विभाजन के समय जनक कोशिका से पुत्री कोशिकाऐं बनाने के
लिए फ्रेग्मोप्लास्ट,
मध्य पटलिका तथा कोशिका भित्ति बनती है। इसे कोशिका पट्टिका
निर्माण भी कहा जाता हैं।
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कोशिका विभाजन के समय
कोशिका पट्टिका निर्माण नहीं मिलता बल्कि मध्य पार्श्व भागों में विदलन खाँच
बनती हैं। जिससे पुत्री कोशिकाऐं बन जाती हैं।
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पादप कोशिकाओं के मध्य एक कोशिका के कोशिका द्रव्य का संपर्क
अपने समीप स्थित दूसरी कोशिका के कोशिका द्रव्य से कुछ जीवद्रव्यी तंतुओं द्वारा
बना रहता हैं,
जिसे प्लाज्मोडेस्मेटा कहा जाता हैं।
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जीव द्रव्यी तंतु
प्लाज्माडेस्मेटा अनुपस्थित होती हैं। बल्कि इसके स्थान पर संपर्क बनाने वाली
संरचनाऐं अंगुलीनुमा प्रवर्ध होते हैं।
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