कुछ जीवों की कोशिकाओं के केन्द्रक में असामान्य साइज
एवं आकृति के गुणसूत्र मिलते हैं अर्थात् एक सामान्य गुणसूत्र से कई गुना अधिक बडे
एवं आकृति में या संरचना में भी असामान्य होते हैं, इन्हें
विशिष्ट प्रकार के गुणसूत्र कहते हैं। विशिष्ट प्रकार के गुणसूत्र मुख्यतया निम्न
होते हैं -
1.पॉलिटिन गुणसूत्र /
बालवियानी गुणसूत्र / लारग्रंथी गुणसूत्र (Polytene
chromosome / Balbiani chromosome) -
पॉलिटिन गुणसूत्र विशेष प्रकार का गुणसूत्र होता हैं, जिसमें गुणसूत्र के लगातार आंतरिक वलन मिलते हैं, जिसे
अन्तःपुर्नद्विगुणन (Endo-reduplication) कहा जाता हैं।
पॉलिटिन गुणसूत्र की खोज ‘बालवियानी’
(E.G. Balbiani) ने 1881 में फलमक्खी
(ड्रोसोफिला) के काइरोनोमस लारवा में की थी।
पॉलिटिन गुणसूत्र अन्य कीटों जैसे - मच्छरों आदि में भी देख लिया गया हैं। आज-कल
पॉलिटिन गुणसूत्र के अध्ययन से यह भी स्पष्ट हो चुका हैं कि ये गुणसूत्र जिन
कोशिकाओं के केन्द्रक में मिलते हैं, वे कोशिकाऐं समसूत्री
विभाजन नहीं करती हैं।
Balbiani chromosome |
इन
गुणसूत्रों का एक मुख्य लक्षण यह भी है कि इनमें कायिक युग्मन पाया जाता हैं। अतः
इनकी संख्या कायिक कोशिकाओं में इनकी वास्तविक संख्या से आधी पाई जाती हैं। ये सभी
एक ही गुणसूत्र बिंदु (Centromere) से जुड़े होते हैं,
जिसे क्रोमोसेन्टर (Chromo centre) कहते हैं।
इन गुणसूत्रों में भिन्न-भिन्न गहरे व हल्के बैण्ड पाए जाते हैं, जो गुणसूत्रों की Mapping में सहायता करते हैं। ये
गुणसूत्र पफ (Puff) बनाते हैं, जिसे बालवियानी पफ (Balbiani
puff) कहा जाता हैं। यहाँ m-RNA का
संश्लेषण होता हैं।
2. लैम्पब्रश गुणसूत्र
(Lamp-brush chromosome) -
ये गुणसूत्र भी विशेष प्रकार के तथा विशालकाय होते
हैं,
क्योंकि संरचना में तो ये लैम्पब्रुश के समान होते हैं, लेकिन आकार में सामान्य गुणसूत्र से काफी बड़े होते हैं। इनकी लम्बाई 800-1000
µ तक होती हैं। इसी कारण इन्हें दैत्य
गुणसूत्र भी कहा जाता हैं। इन्हें कशेरूक प्राणियों की प्राथमिक अण्डक कोशिकाओं (Primary
oocyte) में अर्द्धसूत्री विभाजन की डिप्लोटीन उपप्रावस्था में
देखा गया हैं। इसी प्रकार कुछ अन्य कशेरूक प्राणियों की शुक्राणु
कोशिका (Spermatocyte) में भी मिल जाते हैं।
लैम्पब्रश गुणसूत्र में उपस्थित लूप (Loop) DNA-तंतु का वलन होता हैं। जिस पर चारों ओर प्रोटीन
+ RNA का बना मैट्रिक्स होता हैं। लैम्पब्रुश गुणसूत्र का
प्रमुख कार्य अण्डें में योक (Yolk) अर्थात् पीतक का निर्माण
करना, RNA एवं प्रोटीन का संश्लेषण करना होता हैं।
3. B-गुणसूत्र / सहायक
गुणसूत्र (B-chromosome / Accessory or supernumerary chromosome) -
ये गुणसूत्र कुछ जीवों के केन्द्रक में सामान्य
गुणसूत्रों के साथ गुणसूत्रों के छोटे-छोटे खण्डों के रूप में उपस्थित होते हैं।
इनकी खोज ‘विल्सन’ (Wilson) ने 1905 में की थी।
ये
गुणसूत्र किसी पकार के अर्द्धसूत्री विभाजन में भाग नहीं लेते हैं तथा आनुवंशिकीय
लक्षणों का निर्धारण नहीं करते। ये हेटरोक्रोमेटिक (Heterochromatic) प्रकृति के होते हैं,
जिनमें सेन्ट्रोमीयर की उपस्थिति भी मिलती हैं। उदाहरण - मक्का,
कीटों की कोशिकाओं के केन्द्रक में।
Nice 😎👍
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