पादप या जन्तुओं की प्रजातियों के सदस्य गुणसूत्र के
एक सैट / जोड़े द्वारा पहचाने जाते हैं, जिसमें एक निश्चित
लक्षण पाए जाते हैं। इसमें गुणसूत्रों की संख्या, आपेक्षिक
आकार, गुणसूत्र बिंदु (Centro-mere) की
स्थिति, भुजाओं की लंबाई व सैटेलाइट (Satellite) आदि। ये सभी लक्षण जिनके द्वारा गुणसूत्र के एक जोड़े को पहचाना जा सकता
हैं, उस जाति का केरियोटाइप (Karyotype) कहलाता हैं।
केरियोटाइप
को चित्र के रूप में प्रदर्शित करना इडियोग्राम (Ideogram) कहा जाता हैं। जहाँ गुणसूत्रों
को उनके घटते आकार में व्यवस्थित किया जाता हैं। केरियोटाइप के 2 प्रकार होते हैं - अ. सममित केरियोटाइप एवं ब. असममित केरियोटाइप। इनमें
निम्न अंतर पाए जाते हैं -
सममित
केरियोटाइप
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असममित केरियोटाइप
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यह
सबसे बड़े व सबसे छोटे गुणसूत्र के बीच कम अंतर प्रदर्शित करता हैं।
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यह सबसे बड़े व सबसे छोटे गुणसूत्र के बीच अधिक
अंतर प्रदर्शित करता हैं।
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इसमें
अधिक मध्यकेन्द्री (Metacentric) गुणसूत्र पाए जाते हैं।
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इसमें कम मध्यकेन्द्री (Metacentric) गुणसूत्र पाए जाते हैं।
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यह
एक आद्य (कम विकसित) लक्षण हैं।
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यह एक अधिक विकसित लक्षण हैं।
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केरियोटाइप के उपयोग
(Uses of Karyotype) -
1.जीवों के विभिन्न समूहों के केरियोटाइप (Karyotype) की तुलना करने पर कभी-कभी उनमें समानताऐं देखने को मिलती हैं, जो उद्विकास (Evolution) से संबंधित जानकारी को
दर्शाती है।
2. केरियोटाइप के द्वारा किसी जीव के आद्य व अधिक
विकसित लक्षणों का पता लगता हैं।
3. गुणसूत्रीय अनियमितताओं से होने वाले आनुवंशिक
विकारों को केरियोटाइप (Karyotype) द्वारा पहचाना जा सकता
हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
(Some important points) -
* जीनोम (Genome) - गुणसूत्रों का अगुणित जोड़ा / सैट, जीनोम कहलाता हैं।
* जीन पूल (Gene pool) - किसी जाति के समस्त सदस्यों में पाई जाने वाली जीन्स
को सम्मिलित रूप से जीन पूल कहते हैं।
* प्लाज्मोन (Plasmone) - जीन के वंशागति कारक जो कोशिका द्रव्य में पाए जाते
हैं,
प्लाज्मोन कहलाते हैं।
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