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तारककाय (Centrosome)


सेन्ट्रोसोम’ (Centro some) शब्द बोवेरी’ (T. Bovary) ने दिया। तारककाय की खोज बेन्डन’ (Benden) ने की। इन्हें कोशिका केन्द्रक या कोशिका केन्द्र (Cell center) भी कहा जाता हैं। ये सभी यूकेरियोटिक, जंतु कोशिकाओं व निम्नस्तरीय जल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं। ये प्रोकेरियोट्स, अमीबा, यीस्ट, अनावृत्तबीजी पादप व आवृत्तबीजी पादप आदि में अनुपस्थित होते हैं।

          तारककेन्द्रक (Centriole) युग्म में पाए जाते हैं। यह युग्म डिप्लोसोम’ (Diplosome) या सेन्ट्रोसोम’ (Centro-some) कहलाता हैं। एक स्पष्ट तंतुमय कोशिका द्रव्य तारककेन्द्रकों को घेरता हैं, जिसे सेन्ट्रोस्फीयर (Centro-sphere) कहते हैं। सेन्ट्रोस्फीयर व तारककेन्द्रक को सम्मिलित रूप से तारककाय या डिप्लोसोम (Diplosome) कहते हैं। दो तारककेन्द्रक एक तारककाय में 90 डिग्री के कोण पर स्थित होते हैं। यह झिल्लीरहित संरचनाऐं हैं। ये सूक्ष्मनलिकाऐं उपलब्ध करवाकर, सूद्वमनलिकाओं के तर्कु बनाते हैं।


तारककाय की संरचना (Structure of Centrosome) -

Centrosome - Cart wheel structure


प्रत्येक तारककेन्द्रक 9 सूक्ष्मनलिकाओं का बना होता हैं तथा प्रत्येक सूक्ष्मनलिका परिधि पर त्रिक के रूप में पाई जाती हैं। अतः तारककेन्द्रक में सूक्ष्मनलिकाओं की व्यवस्था 9+0 व्यवस्था कहलाती हैं। एक त्रिक में तीन उपनलिकाऐं होती हैं, जो अन्दर से बाहर की तरफ A,B,C उपनलिका कहलाती हैं। प्रत्येक त्रिक एक-दूसरे से लगभग 40 डिग्री के कोण पर घुमा हुआ रहता हैं। प्रत्येक त्रिक की A उपनलिका नजदीकी त्रिक की C उपनलिका से एक सघन पदार्थ द्वारा जुड़ी होती हैं, जिसे C-A linker कहा जाता हैं। इसी linker के कारण त्रिकों में घुमाव उत्पन्न होता हैं। प्रत्येक त्रिक सेन्ट्रल हब (Central hub) से प्राथमिक तंतु के द्वारा जुड़ा होता हैं। सेन्ट्रल हब व कार्बनिक तंतुओं को सम्मिलित रूप से कार्ट व्हील संरचना’ (Cart wheel structure) कहा जाता हैं। तारककेन्द्रक में नग्न वृत्ताकार द्विसूत्री DNA पाया जाता हैं।



तारककाय के कार्य (Functions of Cetrosome) -

1.ये सूक्ष्मनलिकाओं के बहुलकीकरण के द्वारा तर्कु तंतुओं व तारक किरणों का निर्माण करते हैं। यह समसूत्री व अर्द्धसूत्री विभाजन के लिए आवश्यक कार्य हैं।

2. यह पक्ष्माभ व कशाभ के संघटन व विकास में सहायक हैं।

3. यह कोशिका विभाजन के दौरान ध्रुवों का निर्धारण करता हैं।

4. मनुष्य या अन्य प्राणियों के शुक्राणुओं में पूँछ भाग का निर्माण तारककेन्द्र से होता हैं, जो तारककाय में उपस्थित होते हैं।

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