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कोशिका झिल्ली (Cell membrane)


इसे प्लाज्मा झिल्ली / इकाई झिल्ली या जैविक झिल्ली भी कहते हैं।
कोशिका झिल्ली शब्द नागेली एवं क्रेमर’ (Nageli & Kramer) ने दिया।
प्लाज्मा झिल्ली शब्द प्लॉव’ (Ploue) ने दिया।
इकाई झिल्ली शब्द रॉबर्टसन’ (Robertson) ने दिया।


कोशिका झिल्ली की संरचना (Structure of cell membrane) -
कोशिका झिल्ली की संरचना को समझाने के लिए निम्न सिद्धांत दिए गए हैं -

1.लाइपोइडल सिद्धांत (Lipoidel model) -
यह सिद्धांत ओवरटोन’ (Overton) ने दिया। इसके अनुसार कोशिका झिल्ली वसीय परत की बनी होती हैं।

2. सैंडविच या त्रिपरतीय मॉडल (Sandwich or tri-lamellar model)-
यह मॉडल डेवसन व डेनियली’ (Dawson & Danielle) ने प्रस्तुत किया। इनके अनुसार कोशिका झिल्ली में बाहर की तरफ प्रोटीन की परतें व बीच में वसा की परत पायी जाती हैं।

sandwich model



3. इकाई झिल्ली सिद्धांत (Unit membrane model) -
यह सिद्धांत रॉबर्टसन’ (Robertson) ने दिया। इसके अनुसार सभी प्रकार की झिल्लियाँ जैसे- कोशिका झिल्ली, कोशिकांग झिल्ली की संरचना एक समान होती हैं।

          उपरोक्त सभी सिद्धांतों को अमान्य घोषित किया गया, क्योंकि ये कोशिका झिल्ली के किसी एक या दो गुणों के अलावा अन्य गुणों जैसे- कोशिका झिल्ली द्वारा सक्रिय परिवहन, कोशिका झिल्ली की प्रत्यास्थता व चयनात्मक पारगम्यता को नहीं समझाते।

4. तरल मौजेक मॉडल (Fluid mosaic model) -
प्रस्तुतकर्ता - सिंगर व निकोल्सन [Singer & Nicolson] (1972)
यह कोशिका झिल्ली का सार्वत्रिक व सर्वमान्य सिद्धांत हैं। इसे गुलाबजामुन मॉडल भी कहा जाता हैं। इसके अनुसार कोशिका झिल्ली की संरचना में फास्फोलिपिड के समुद्र में प्रोटीन रूपी द्वीप स्थित होते हैं।

Fluid mosaic model


संरचना (Structure) -
.प्रोटीन (Protein) -
कोशिका झिल्ली की संरचना में दो प्रकार की प्रोटीन पाई जाती हैं -

अ.अंतर्वेशी प्रोटीन (Intrinsic protein) -
यह कुल प्रोटीन का 70 प्रतिशत भाग होती हैं। यह प्रोटीन फास्फोलिपिड स्तर में पूरी तरह से धंसी रहती हैं। इन्हें आसानी से पृथक्कृत नहीं किया जा सकता। कुछ अंतर्वेशी प्रोटीन फास्फोलिपिड की एक परत से दूसरी परत तक आर-पार स्थित होती हैं। इन्हें Tunnel या पारझिल्ली प्रोटीन कहते हैं।
उदाहरण- ग्लाइकोप्रोटीन, पोरीन प्रोटीन।

ब. बहिर्वेशी प्रोटीन (Extrinsic protein) -
यह कुल प्रोटीन का 30 प्रतिशत भाग होती हैं। यह प्रोटीन फास्फोलिपिड द्विस्तर से बाहर की ओर स्थित होती हैं। इन्हें आसानी से पृथक्कृत किया जा सकता हैं। फास्फोलिपिड द्विस्तर में प्रोटीन की फ्लिप-फ्लॉप गति के प्रमाण नहीं हैं अर्थात् फास्फोलिपिड परत के प्रोटीन गति के द्वारा दूसरी फास्फोलिपिड (Phospholipid) की परत में नहीं जा सकते। जबकि एक ही फास्फोलिपिड परत में प्रोटीन की पार्श्व गतियां संभव हैं।
उदाहरण - स्पेक्ट्रिन।

. फास्फोलिपिड (Phospholipid) -
एक फास्फोलिपिड अणु में एक सिर व दो पूँछ होती हैं। कोशिका झिल्ली में कुछ विशेष फास्फोलिपिड जैसे- लेसिथिन (Phosphotidyl choline) और सेफालिन (Phosphotidyl ethanolamine) होते हैं। फास्फोलिपिड कोशिका झिल्ली को तरलता का गुण प्रदान करते हैं। कोशिका झिल्ली में कोलेस्ट्रॉल अणु पाए जाते हैं, जो कोशिका झिल्ली को स्थाईत्व प्रदान करते हैं। कोशिका झिल्ली में असंतृप्त वसीय अम्ल पाए जाते हैं। यहि कारण हैं कि कोशिका झिल्ली में तरलता का गुण पाया जाता हैं। प्रोकेरियोटिक कोशिका में कोशिका झिल्ली को स्थाईत्व देने के लिए कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) अणु नहीं पाए जाते। अतः इनमें स्थाईत्व देने का कार्य Hopanoids करते हैं। कोलेस्ट्रॉल की उपस्थिति के कारण कोशिका झिल्ली अर्द्धतरल अवस्था में रहती हैं। फास्फोलिपिड अणु फ्लिप-फ्लॉप गति कर सकते हैं।

कोशिका झिल्ली की तरलता को फ्राय व एडिन ने समझाया। इन्होंने चूहे की कोशिका को ग्रीन फ्लोरोसेन्ट डाई (Red fluorescent dye) से युक्त प्रतिरक्षी से रंजित किया। चूहे व मनुष्य की दोनों रंजित कोशिका को PEG (Poly Ethyl Glycol) की उपस्थिति में संलयित करवाया। संलयित कोशिका में से कुछ को 0 डिग्री सेन्टीग्रेड पर व कुछ को 37 डिग्री सेन्टीग्रेड पर रखा। उन्होनें पाया कि 0 डिग्री पर रखी कोशिकाओं में हरे व लाल रंग के स्पष्ट अर्धभाग में उपस्थित रहते हैं, क्योंकि इस तापमान पर वसाओं के जम जाने के कारण कोशिका झिल्ली में तरलता का गुण नहीं रहता जिससे हरा व लाल रंग पूरी तरह मिश्रित नहीं होते। 37 डिग्री सेन्टीग्रेड पर कोशिका झिल्ली में तरलता के कारण हरे व लाल रंग मिश्रित हो जाते हैं।

कोशिका झिल्ली की अर्द्धतरल प्रकृति निम्न गुण प्रदान करती हैं-
1.शीघ्र मरम्मत होती हैं।
2. गतिक प्रावस्था।
3. चयनात्मक पारगम्यता।
4. संकुचन, फैलाव व संलयन की क्षमता।

. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) -
कोशिका झिल्ली में कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोलिपिड व ग्लाइकोप्रोटीन के रूप में पाए जाते हैं। यह ग्लाइकोकेलिक्स बनाता हैं। इनका प्रमुख कार्य कोशिका की पहचान करना हैं।
जैसे- रक्त समूहन में, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में (प्रतिजन-प्रतिरक्षी क्रिया), जलीय जीवों में बाह्य निषेचन।

. एंजाइम (Enzyme) -
कोशिका झिल्ली में लगभग 30 प्रकार के एंजाइम पाए जाते हैं। परिधीय या बहिर्वेशी प्रोटीन में एंजाइमेटिक गुण पाए जाते हैं। जैसे - एटीपेज (ATPase)  कोशिका झिल्ली का प्रमुख एंजाइम हैं।


कोशिका झिल्ली के कार्य (Functions of cell membrane) -
1.एक कोशिका को दूसरी कोशिका से पृथक रखती हैं।
2. यह ऊत्तक निर्माण व सूक्ष्मजीवों के प्रवेश के विरूद्ध प्रतिरक्षा के लिए आवश्यक कोशिकीय अंर्तक्रियाओं को नियंत्रित करती हैं।
3. ग्लाइकोप्रोटीन तथा ग्लाइकोलिपिड कोशिका की पहचान में सहायक हैं।
4. परिधीय प्रोटीन एंजाइमेटिक गुण रखते हैं।
5. कोशिका झिल्ली स्यूडोपोडिया, सीलिया आदि का निर्माण करती हैं।
6. कोशिका झिल्ली में कुछ हॉर्मोन्स के ग्राही पाए जाते हैं।
7. कोशिका की गतिक अवस्था को बनाए रखने के लिए कोशिका झिल्ली यह निर्धारित करती है कि किन अणुओं को कोशिका के अंदर प्रवेश करना हैं व किन को कोशिका से बाहर निकालना हैं।
8. परिवहन - अणुओं का परिवहन निम्न माध्यमों से होता हैं -

.विसरण (Diffusion) -
यह दो प्रकार का होता हैं -

अ.सरल विसरण (Simple diffusion) -
अणुओं, परमाणुओं या आयनों का उच्च सांद्रता से निम्न सान्द्रता की ओर कोशिका झिल्ली से होकर गमन, सरल विसरण कहलाता हैं।

ब. सुसाध्य विसरण (Facilitated diffusion) -
अणुओं, परमाणुओं या आयनों की उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर वाहक व चैनल प्रोटीन्स से होकर गति, सुसाध्य विसरण कहलाती हैं।

. परासरण (Osmosis) -
एक कम सांद्रता वाले विलयन से उच्च सांद्र विलयन की ओर कोशिका झिल्ली से होकर विलायक के अणुओं की गति परासरण होती हैं।

. सक्रिय परिवहन (Active transport) -
अणु, परमाणु या आयनों की कम सांद्रता से उच्च सांद्रता की ओर गति जिनमें ऊर्जा खर्च होती हैं।

. निष्क्रिय परिवहन (Passive transport) -
अणु, परमाणु या आयनों की उच्च सांद्रता से कम सांद्रता की ओर गति जिसमें ऊर्जा खर्च नहीं होती। विसरण एवं परासरण इसके उदाहरण हैं।

. बल्क परिवहन (Bulk transport) -
यह दो प्रकार का होता हैं -

अ. एण्डोसाइटोसिस (Endocytosis) -
पदार्थों का कोशिका झिल्ली से होकर अंर्तग्रहण एण्डोसाइटोसिस कहलाता हैं। यह पुनः दो प्रकार का होता हैं -
क. कोशिका पायन (Pinocytosis) -
पदार्थों का तरल रूप में अंर्तग्रहण। इसे Cell drinking भी कहा जाता हैं।

ख. कोशिका भक्षण (Phagocytosis) -
पदार्थों का ठोस रूप में अंर्तग्रहण। इसे Cell eating भी कहते हैं।

ब. एक्सोसाइटोसिस (Exocytosis) -
अपचित या अपशिष्ट पदार्थों का कोशिका झिल्ली से होकर बाहर निकलना। इसे Cell vomiting भी कहते हैं।

9. प्लाजमोडेस्मेटा (Plasmodesmata) -
यह दो पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव्यों के बीच संपर्क बनाने का कार्य करते हैं। यह कोशिका झिल्ली द्वारा रेखित होते हैं। कोशिका द्रव्यों के बीच संपर्क हेतु डेस्मोट्यूब्यूल पाई जाती हैं। इनकी उत्पत्ति अन्तःप्रर्दव्यी जालिका से होती हैं। यह पदार्थों के परिवहन में संवलक पथ (Symplastic pathway) बनाते हैं।

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