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नामकरण पद्धति (Nomenclature system)


सजीवों की पहचान अथवा संपूर्ण विश्व में एक ही नाम से जानने के लिए एक विशेष या मानक नाम देने की प्रक्रिया नामकरण कहलाती हैं। नामकरण के लिए विश्व स्तर पर पादप एवं जंतुओं के लिए विशेष संगठन बने हुए हैं। नामकरण से संबंधित कुछ पद्धतियाँ या विधियाँ इस प्रकार दी गई हैं -

1.देशी नाम (Vernacular name) -
किसी भी देश में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाओं में सुविधानुसार नाम दिए जाते हैं, लेकिन वे नाम विश्व स्तर पर अमान्य माने जाते हैं, इन्हें सामान्य नाम या देशी नाम कहा जाता हैं। नामकरण की यह प्रक्रिया अमान्य हो गई हैं।


2. वैज्ञानिक नाम (Scientific name) -
किसी निश्चित नियम अथवा मापदण्डों पर आधारित विश्वव्यापी नाम वैज्ञानिक नाम कहलाता हैं। वैज्ञानिक नाम देने की निम्न मुख्य प्रणालियाँ हैं -

.बहुनामकरण/बहुपदनामकरण प्रणाली (Polynomial system of nomenclature) -
नामकरण की इस प्रणाली में लैटिन भाषा में कईं शब्द प्रयुक्त किये जाते हैं, जिससे नाम लम्बी श्रंखला का हो जाता हैं। यह प्रणाली अमान्य हो गई क्योंकि इसके अनुसार दिए गए नाम आसानी से याद नहीं रहते। जैसे - केरियोफिल्लम (Caryophyllum) को निम्न प्रकार से लिखा जाता हैं - केरियोफिल्लम सेक्सेटिलिस फोलिस ग्रेमिनस अम्बेलेटस कोरियम्बिस
. त्रिपद नाम प्रणाली (Trinomial system of nomenclature) -
नमकरण की इस प्रणाली के अनुसार किसी भी पौधें या जंतु के वैज्ञानिक नाम को तीन भागों में लिखा जाता हैं। जिनमें प्रथम भाग वंश को, दूसरा भाग जाति को तथा तीसरा भाग पौधों की वैरायटी (किस्म) को तथा जंतुओं में उपजाति को दर्शाता हैं।
उदाहरण - पत्तागोभी - ब्रेसिका ओलेरेशिया केपीटेटा
          फूलगोभी - ब्रेसिका ओलेरेशिया बोट्रिटिस
          गाँठगोभी - ब्रेसिका ओलेरेशिया गोंगीलोड
          भारतीय कौवा - कोरवस स्प्लेण्डेन्स स्प्लेण्डेन्स

. द्विपद नामकरण प्रणाली (Binomial system of nomenclature) -
यद्यपि नामकरण की यह प्रणाली गस्फार्ड बॉहिन द्वारा अपनी पुस्तक पिनाक्स (पिनाक्स थिएट्री बोटेनिक) में प्रस्तावित कर दी थी। लेकिन उन्हें श्रेय नहीं मिला।
          वर्तमान समय में कार्ल वान लिने ने नामकरण की द्विनाम पद्धति प्रस्तुत की जो सर्वमान्य मानी जाती हैं। इस पद्धति के अनुसार पौधों एवं जंतुओं के नाम दो भागों में लिखे जाते हैं। जिन्हें क्रमशः वंश (Genus) एवं जाति (Species) कहा जाता हैं।

द्विनाम पद्धति का विस्तृत वर्णन तथा नियम केरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक फिलोसोफिया बोटेनिकामें 1751 में किया था। जिसमें स्वयं का नाम बदलकर केरोलस लिनियस प्रस्तुत किया। बाद में स्पीशीज प्लांटेरम में लगभग 6000 पादप जातियों तथा सिस्टेमा नेचुरी में 4326 जंतुओं का वर्णन प्रस्तुत किया था।
          वर्तमान में वैज्ञानिक मानकों के अनुसार नामकरण को विश्व स्तर पर देने के लिए निम्न संगठन कार्य कर रहे हैं। जिनके अनुसार जीवों का नामकरण किया जाता हैं-
*ICBN (International Code of Botanical Nomenclature) -
इसकी स्थापना 1961 में हुई थी। वर्तमान में प्रत्येक देश में इसके केन्द्र एवं उपकेन्द्र बने हुए हैं।

*ICZN (International Code of Zoological Nomenclature) -
इसकी स्थापना 1964 में हुई थी तथा विश्व के सभी देशों में इसके भी केन्द्र एवं उपकेन्द्र स्थापित हैं।

*ICTV (International Committee for Taxonomy of Viruses) -
वर्तमान में इसकी स्थापना भी हो चुकी हैं, जो वायरसों के वर्गीकरण एवं नामकरण से संबंधित हैं।





द्विनाम पद्धति द्वारा नामकरण के नियम (Rules for binomial nomenclature) -
1.नामकरण की इस पद्धति के अनुसार वैज्ञानिक नाम दो भागों में लिखे जाते हैं। इनमें से प्रथम भाग वंश तथा दूसरा भाग जाति का होता हैं।

2. इन्हें लैटिनीकृत रूप में अर्थात् लैटिन भाषा में लिखा जाता हैं। जो विभिन्न भाषाओं से मिलकर उत्पन्न मानी जाती हैं।

3. वंश का प्रथम शब्द अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर (Capital letters) में तथा जाति का प्रथम अक्षर अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षर (Small letters) में लिखे जाते हैं।

4. यह वैज्ञानिक नाम तिरछे (Italic) किए जाते हैं। लेकिन हाथ से लिखने पर इन्हें अलग-अलग अधोरेखांकित किया जाता हैं।

5. स्पीशीज के नाम के बाद संबंधित लेखक या वैज्ञानिक का नाम भी संक्षिप्त में लिखा जाता हैं। लेकिन उसे अधोरेखांकित नहीं किया जाता हैं। उदाहरण-
          आम - मैंजीफेरा इण्डिका लिन.

6. कभी-कभी कुछ वैज्ञानिक नामों में जाति का नाम दो या दो से अधिक भागों के संयुक्त होने से बनता हैं, जिन्हें इनके मध्य हाइफन ‘-’ लगाकर लिखा जाता हैं। उदाहरण -
          गुडहल - हिबिस्कस रोजा-साइनेन्सिस

अन्य नियम (Other rules) -
1.यदि वंश तथा जाति दोनों के नाम विशिष्ट रूप से समान होते हैं, तो इन्हें टोटोनिम (Totonym) कहा जाता हैं।
जैसे - चूहे को रेट्स रेट्स लिखा जाता हैं।

2. यदि किसी सजीव की जाति एवं उपजाति के नाम विशिष्ट रूप से समान हों, तो ऐसे नाम ऑटोनिम (Autonym) कहे जाते हैं।
उदाहरण - कौवे को कोरवस स्प्लेण्डेन्स स्प्लेण्डेन्स कहा जाता हैं।

3. यदि दो या अधिक पौधों को एक ही नाम दिया जाता हैं, तो उसे सिनोनिम (Synonym) कहा जाता हैं।
जैसे - बादाम एवं आलूबुखारा को प्रूनस डल्से द्वारा लिखा जाता हैं।


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