कोशिका विज्ञान ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘साइटो’ तथा ‘लोगोस’ से मिलकर बना हैं। जिनका अर्थ हैं - ‘साइटो’ - कोशिका तथा ‘लोगोस’ का अर्थ
हैं- अध्ययन करना।
जीव
विज्ञान की वह शाखा, जिसके अन्तर्गत कोशिका के बारे में
अध्ययन किया जाता हैं, कोशिका विज्ञान कहलाती हैं। कोशिकाओं
के अध्ययन कर्त्ता को कोशिकाविज्ञानी (Cytologist) कहा जाता
हैं।
कोशिका
(Cell) -
प्रत्येक सजीव शरीर का निर्माण एक अथवा अनेक कोशिकाओं
द्वारा होता हैं। जिसमें विभिन्न प्रकार की जैविक क्रियाऐं चलती रहती हैं। अतः ‘सजीव शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई कोशिका कहलाती हैं।’
कोशिका सिद्धांत
(Cell theory) -
सजीव कोशिका के बारे में सार्वत्रिक सत्य जानकारी
कोशिका सिद्धांत के रूप में दी जाती हैं। कोशिका सिद्धांत का प्रतिपादन जर्मन
वनस्पति शास्त्री ‘मेथियास श्लाइडेन’
(M. Schlieden) तथा जंतु शास्त्री ‘थियोडोर
श्वान’ (T. Schwann) ने किया था। इनके अनुसार कोशिका
सिद्धांत के बिन्दु निम्न हैं-
Ⅰ.कोशिका सजीव शरीर की संरचनात्मक इकाई होती हैं।
Ⅱ. यह सजीव शरीर की क्रियात्मक इकाई भी होती हैं।
Ⅲ. कोशिका सजीव शरीर की आनुवंशिक इकाई होती हैं।
रूडोल्फ विर्चो (Rudolf
Virchow) ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक नई कोशिका का निर्माण
अपनी पूर्व स्थित कोशिका में विभाजन से ही होता हैं अर्थात् “Omnis cellula
a cellulae” । अतः आजकल कोशिका सिद्धांत को आधुनिक कोशिका सिद्धांत (Modern
cell theory) कहा जाता हैं।
कोशिका सिद्धांत का अपवाद
(Exception of cell theory) -
विषाणु (Virus) सजीव एवं
निर्जीव की योजक कड़ी होते हैं। ये कोशिका सिद्धांत के अपवाद कहे जाते हैं, क्योंकि इनके द्वारा कोशिका
सिद्धांत के बिन्दुओं का अनुसरण नहीं किया जाता। अपवाद प्रदर्शित करने वाले बिन्दु
निम्न हैं -
Ⅰ. विषाणु स्वतंत्र रूप से विभाजन नहीं करते। इनके विभाजन हेतु दूसरी जीवित
कोशिका आवश्यक होती हैं।
Ⅱ. वायरस में कोशिकीय गठन स्पष्ट नहीं मिलता, क्योंकि
इनमें कोशिका झिल्ली, कोशिका द्रव्य, कोशिकांग
तथा अन्य कोशिकीय घटक नहीं मिलते।
Ⅲ. वायरसों में केवल एक ही प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल मिलता हैं अर्थात् DNA या RNA जबकि सजीव कोशिकाओं में ये दोनो मिलते हैं।
कोशिका की खोज एवं इतिहास
(Discovery & history of cell) -
कोशिका की खोज का श्रेय ‘रॉबर्ट हुक’ (Robert Hook) को दिया जाता हैं।
इन्होंने स्वयं द्वारा निर्मित संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में कॉर्क की पतली काट का
अध्ययन किया था तथा देखा कि इसमें मधुमक्खी के छत्ते के समान छोटे-छोटे खण्ड
व्यवस्थित मिलते हैं। इन खण्डों को सेल्यूला (Cellula) नाम
दिया गया। इसी से कोशिका (Cell) शब्द बना। दिखाई देने वाले
खण्ड पादप की मृत कोशिकाऐं थी, क्योंकि उनमें कोशिका भित्ति
को छोड़कर शेष सभी संरचनाऐं सूखी हुई थी।
सूक्ष्मदर्शी यंत्र (Microscope)
-
सूक्ष्म वस्तुओं अथवा कारकों को आवर्धित करके दिखाने
वाला उपकरण सूक्ष्मदर्शी यंत्र होता हैं। यह सूक्ष्म संरचनाओं को कईं गुना बढ़ा
करके प्रदर्शित करता हैं, जिससे उनका अध्ययन आसान हो जाता हैं।
ये सूक्ष्मदर्शी विभिन्न लैंसों के समायोजन से तैयार की जाती हैं। प्रमुख
सूक्ष्मदर्शी यंत्र निम्न होते हैं-
1.सरल सूक्ष्मदर्शी (Simple
microscope) -
केवल एक ही लैंस के उपयोग से बनाई गई सूक्ष्मदर्शी
सरल सूक्ष्मदर्शी कहलाती हैं। इसकी आवर्धन क्षमता बहुत कम होती हैं।
2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound
microscope)-
दो या दो से
अधिक लैंसो के समायोजन से निर्मित सूक्ष्मदर्शी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी कहलाती हैं।
इसकी आवर्धन क्षमता सरल सूक्ष्मदर्शी की तुलना में कईं गुना अधिक होती हैं।
विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में इस सूक्ष्मदर्शी का उपयोग ही सबसे ज्यादा किया
जाता हैं।
3. इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
(Electron microscope) -
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी सूक्ष्म वस्तुओं को सर्वाधिक
आवर्धित करके दिखाने वाला सूक्ष्मदर्शी यंत्र होता हैं अर्थात् इसकी आवर्धन क्षमता
सर्वाधिक होती हैं। प्रारंभ में यह क्षमता 2 लाख गुना अधिक थी,
लेकिन वर्तमान में इसे 2.5 लाख से 4 लाख गुना आवर्धित कर दिखाने वाला उपकरण बना लिया गया हैं।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का
विकास तथा खोज M. Knoll & E. Ruska ने 1931 में किया था। यह विकास जर्मन में हुआ। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी उपकरण एक
बड़ें आकार का होता हैं, जिसमें अन्दर एक निर्वात क्षेत्र बना
होता हैं तथा उच्च वोल्टता उत्पन्न करने वाला इलेक्ट्रोनिक बीम स्थित होता हैं। यह
वोल्टता 50 हजार से 1 लाख वोल्ट तक
मानी जाती है। बीम से 0.54 Å तरंगदैर्ध्य की विद्युत इमेज
उत्पन्न की जाती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में सदैव निर्जीव अवस्था में ही
संरचनाऐं देखी जा सकती हैं, सजीव अवस्था में नहीं, क्योंकि उच्च वोल्टता के कारण जीवित कोशिका नष्ट हो जाती हैं। इलेक्ट्रॉन
सूक्ष्मदर्शी निम्न 2 प्रकार की होती हैं -
Ⅰ. ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
(TEM) -
इसे 1932 में E.
Ruska ने तैयार किया था। इससे 2D संरचनाऐं
देखी जाती हैं।
Ⅱ. स्केनिंग इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
(SEM) -
M. Knoll ने 1935 में विकसित
की थी। इससे 3D संरचनाऐं देखी जाती हैं।
कोशिका की आमाप एंव आकृति
(Size & shape of cell)-
सजीव कोशिकाऐं सामान्यतः सूक्ष्म आकार या आमाप की
होती हैं। इसीलिए इन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अच्छी तरह से देखा जा सकता
हैं। सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा
लेडलेवाई (0.1 µ)
की होती हैं। इसी प्रकार सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग (Ostrich) के अण्डे की होती हैं, जिसका व्यास 15 सेमी. होता हैं।
पौधों में सबसे बड़ी कोशिका एक
कोशिकीय शैवाल एसीटेबुलेरिया के तंतु की होती हैं, जिसकी लंबाई 10 सेमी. होती हैं। इसी प्रकार बहुकोशिकीय पादप बोहमेरिया निविया के
तंतु की लंबाई 26-55 सेमी. की होती हैं। सजीवों की कोशिकाऐं विविध आकृतियों वाली होती हैं, जैसे-
छड़ाकार (rod-shaped), सर्पिलाकार (spiral), गोलाकार (round/spherical) कोमाकार (comma
shaped), आयताकार, ताराकृतिक आदि।
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