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संवहन योजी ऊत्तक


संवहन योजी ऊत्तक दो प्रकार के होते हैं- 1.रक्त 2.लसिका
1.रक्त-
रक्त का अध्ययन- हीमेटोलॉजी
रक्त निर्माण की प्रक्रिया- हीमोपोइसिस
रक्त एक लाल रंग का तरल योजी ऊत्तक हैं। वयस्क नर में 5-6 लीटर व मादा में 4-5 लीटर रक्त पाया जाता है। रक्त की पी.एच. 7.4 होती है।
रक्त एक आभासी योजी ऊत्तक हैं क्योंकि - 1. रक्त की कोशिकाओं में विभाजन नहीं होता।
2.रक्त की मेट्रिक्स तंतु रहित होती है।
3. रक्त की मेट्रिक्स का संश्लेशन व स्त्रावण रक्त से बाहर यकृत व लसिकांगों में होता है।

रक्त का संगठन - तरल भाग (55%) - प्लाज्मा
ठोस भाग (45%) - लाल रूधिर कणिकायें, श्वेत रूधिर कणिकायें, प्लेटलेट।
सम्पूर्ण रक्त में रक्त कोशिकाओं का सम्पूर्ण आयतन पेक्ड सेल वोल्यूम कहलाता है। रक्त में केवल आर.बी.सी. के कुल आयतन को हीमेटोक्रीट वोल्यूम कहते है।
पेक्ड सेल वोल्यूम, हीमेटोक्रीट वोल्यूम के लगभग बराबर होता है, क्योंकि सम्पूर्ण कणिकाओं का 99 % केवल आर.बी.सी. होती है। शेष 1 % में श्वेत रूधिर कणिकाये व प्लेटलेट होती है।

प्लाज्मा - प्लाज्मा के निम्न घटक होते है - 1. जल - 90 से 92 %
2. अकार्बनिक भाग - 0.9 % (आयन, लवण व गैस)
3. कार्बनिक भाग - 7 से 9 % - इसमें कुछ प्रमुख प्रोटीन्स होती हैं। जैसे - एल्ब्यूमिन, ग्लोब्यूलिन
शरीर में सर्वाधिक पाया जाने वाला प्रोटीन कोलेजन है। जबकि प्लाज्मा में सर्वाधिक पाया जाने वाला प्रोटीन एल्ब्यूमिन है।
रक्त में ग्लूकोज का स्तर - 80 से 100 मि.ग्रा. प्रति 100 मि.ली.
रक्त में कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर - 150 से 260 मि.ग्रा. प्रति 100 मि.ली.
रक्त में यूरिया का सामान्य स्तर - 17 से 30 मि.ग्रा. प्रति 100 मि.ली.

रक्त कणिकायें -
1.इरिथ्रोसाइट्स - स्तनधारियों में यह उभयावतल, वृताकार व केन्द्रक रहित होती है। RBC में उत्पति के समय केन्द्रक उपस्थित होता हैं, लेकिन यह परिपक्वन के दौरान विलुप्त हो जाता है। RBC में हीमोग्लोबिन वर्णक पाया जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया की अनुपस्थिति के कारण RBC में अवायवीय श्वशन होता है। RBC का सबसे महत्वपूर्ण एंजाइम कार्बोनिक एनहाइड्रेज हैं, जो CO2 के परिवहन से संबंधित हैं।
रक्त समूह की एंटीजन RBC की सतह पर पाई जाती है। मृत व क्षतिग्रस्त लाल रूधिर कणिकायें प्लीहा द्वारा नष्ट की जाती हैं। अतः प्लीहा को RBC का कब्रिस्तान कहा जाता है। RBC का निर्माण इरिथ्रोपोइसिस कहलाता हैं। यह प्रक्रिया लाल अस्थि मज्जा में होती है। इसका प्रेरण वृक्क द्वारा स्त्रावित इरिथ्रोपोइटिन द्वारा किया जाता हैं।
2.श्वेत रक्त कणिकायें - इन्हें ल्यूकोसाइट्स भी कहा जाता है। श्वेत रक्त कणिकाओं का बढ़ना ल्यूकोसाइटोसिस कहलाता है। जबकि इनका घटना ल्यूकोसाइटोपिनिया कहलाता है।
टोटल ल्यूकोसाइट काउंट - 8000-11000 प्रति घन मि.मि.
3.बिम्बाणु या प्लेटलेट - ये सबसे छोटी रक्त कणिकायें हैं, इनको थ्रोम्बोसाइट्स भी कहा जाता हैं। इसका प्रमुख कार्य रक्त स्कंदन हैं। थ्रोम्बोसाइट्स का बढ़ना थ्रोम्बोसाइटोसिस कहलाता है, जबकि इनका घटना थ्रोम्बोसाइटोपिनिया कहलाता है।
थ्रोम्बोसाइट्स का सामान्य मान - 1.5-4 लाख प्रति घन मि.मि.

2.लसिका - लसिका का उत्पादन लसिकांगों में होता है, जैसे - प्लीहा, लसिका गांठें। प्लीहा को ब्लड बैंक व लाल रूधिर कणिकाओं का कब्रिस्तान भी कहा जाता है।

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