1. मुखगुहा में पाचन (Digestion in mouth) - पाचन की प्रक्रिया यांत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा सम्पन्न होती हैं। मुखगुहा के मुख्यतः दो कार्य होते हैं- (अ) भोजन को चबाना व (ब) निगलने की क्रिया।
1. अंग निर्माण - गैस्ट्रुलेशन के दौरान भ्रूण में तीन जननिक स्तरों का निर्माण होता है , जो विभेदित होकर भ्रूण के अंगों का निर्माण करते है। ये जनन-स्तर क्रमशः बहिःस्तर , मध्यस्तर व अन्तःस्तर कहलाते हैं। अधिकतर बहुकोशीय प्राणियों के भ्रूण में ये तीनों स्तरों का निर्माण होता हैं। अतः इन्हें त्रिस्तरीय कहते हैं। अतः भ्रूण के परिवर्धन के दौरान अंगो का निर्माण होता है। इस क्रिया को अंग निर्माण कहते हैं।