मत्स्य वर्ग में त्वचा दो स्तरों की बनी होती है ; बाह्य अधिचर्म अथवा एपिडर्मिस तथा आंतरिक चर्म अथवा डर्मिस। मछलियों में चर्मीय स्तर शल्कों को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भाग अदा करता है अतः इनके शल्कों को चर्मीय शल्क कहते है। सरीसृप , पक्षी तथा स्तनधारी स्थलीय प्राणियों में शल्कों की व्युत्पति अधिचर्म से होती है अतः इनके शल्क अधिचर्मीय शल्क कहलाते हैं। मछलियों में शल्कों को निम्न रूप से वर्गीकृत किया जा सकता हैः 1. प्लेकॉइड शल्क - प्लेकॉइड शल्क इलैस्मोब्रैंक मछलियों में पाया जाता है। प्लेकॉइड शल्क में एक-एक गोलाकार या चतुष्कोणीय आकार की एक आधारी प्लेट होती हैं जो चर्म में शार्पे तथा अन्य संयोजी उत्तकों की सहायता से मजबूती से जुड़ी होती है। आधारी प्लेट से एक पीछे की ओर निकला शूल बाहरी परत , दन्त के एनैमल समान , एक कठोर , पारदर्शी पदार्थ विट्रोडेन्टीन की बनी होती हैं। विट्रोडेन्टीन के नीचे डेन्टीन का एक स्तर होता है जो मज्जा-गुहा को घेरे रखती है। मज्जा-गुहा से शल्क में रूधिर वाहिनियाँ , तंत्रिका सूत्र तथा लसिका वाहिनियाँ प्रवेश करती हैं। डेन्टीन में अनेक , शाखित...