नैनो शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया हैं, जिसका अर्थ होता है- अतिसूक्ष्म। 10-⁹ मीटर को नैनोमीटर कहा जाता हैं तथा 1 nm (nanometre) से 100 nm को नैनोस्केल (Nano Scale) कहा जाता हैं। वे कण जिनकी लंबाई, चौड़ाई व मोटाई में से कोई भी एक नैनो स्तर का हो, नैनो कण (Nano Particle) कहलाते हैं। नैनो कणों से मिलकर नैनो पदार्थ (Nano Material) बनते हैं। तकनीक की वह शाखा जिसमें नैनो पदार्थ व उसके अनुप्रयोगों का अध्ययन किया जाता हैं, नैनो तकनीक (NanoTechnology) कहलाती हैं। नैनो तकनीक का विकास 1980 के दशक में हुआ। नैनो कणों को देखने के लिए एटॉमिक फॉर्स माइक्रोस्कोप (Atomic Force Microscope) का प्रयोग किया जाता हैं। नैनो स्तर पर कण की सतह व आयतन का अनुपात बढ़ जाता हैं। अतः आयतन की तुलना में सतह अधिक होती हैं, जिससे कणों की क्रियाशीलता बढ़ जाती हैं, और उसमें नए गुण आ जाते हैं। जैसेः- सिलिकॉन का अर्द्धचालक से चालक बनना, सोने का रंग लाल होना, एल्युमिनियम का ज्वलनशील होना, जिंक ऑक्साइड का पारदर्शी होना। इस क्षेत्र में सर्वाधिक कार्य फोरसाईट इन्स्टीट्यूट (Forsite Institute) के चेयरमेन एरिक ड्रेक्सलर (Ari...